उत्तर प्रदेशजिलेपूर्वांचल न्यूज़राजनीतिराज्यशिक्षासोनभद्र

Sonbhadra News: ओबरा इंटर कॉलेज का निजीकरण का विवाद नहीं हो रहा खत्म, निजीकरण हटाने को लेकर दिया गया ज्ञापन.

Story By: विकास कुमार हलचल, ओबरा।

सोनभद्र।

उत्तर प्रदेश के ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज के निजीकरण से क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। कॉलेज प्रशासन ने DAV संस्था को इसका संचालन सौंप दिया है। इससे फीस में अत्यधिक वृद्धि हो गई है। यह कॉलेज लगभग 40-42 गांवों के छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आदिवासी क्षेत्र के गरीब परिवारों के लिए बढ़ी हुई फीस वहन करना मुश्किल हो रहा है। मजदूर वर्ग के माता-पिता अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने का सपना छोड़ने को मजबूर हैं। विवाद बढ़ने के बाद कॉलेज के बोर्ड से नाम हटा दिया गया है।

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य अमरनाथ उजाला के अनुसार, इस कॉलेज से कई आईएएस और पीसीएस अधिकारी तैयार हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में गुड़गांव, चकारी, परसोई, खरहरा, खैराही, बैकपुर, नवा टोला, नेवारी समेत कई गांव शामिल हैं। स्थानीय लोगों और पूर्व छात्रों ने एसडीएम, तहसीलदार, राज्य मंत्री संजीव गौड़ और एमएलसी आशुतोष सिन्हा को ज्ञापन सौंपा है। 6 महीने पहले ओबरा विधायक को भी इस मामले में ज्ञापन दिया गया था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि या तो अधिकारियों पर दबाव है या वे समस्या को समझ नहीं पा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य आशुतोष सिन्हा ने ओबरा इंटर कॉलेज के निजीकरण के मुद्दे को उठाया है। 1964 में हाई स्कूल के रूप में शुरू हुआ यह कॉलेज 1968 में इंटर कॉलेज बना। यह संस्थान आदिवासी, गरीब, मजदूर और किसान परिवारों के बच्चों की शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है।

2011-12 में कॉलेज के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए। सिन्हा के अनुसार, वर्तमान सरकार इस शैक्षणिक संस्थान को निजी हाथों में सौंपने की योजना बना रही है। उन्होंने इस मुद्दे को पहले भी विधान परिषद में उठाया था। बिजली विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा भी हुई। लेकिन सरकार की कॉलेज को बेचने की मंशा में कोई बदलाव नहीं आया है। विधायक का कहना है कि इस निजीकरण से फीस बढ़ेगी और गरीब छात्रों की शिक्षा प्रभावित होगी।

सिन्हा ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि तब गरीब, मजदूर और किसान के हितों का ध्यान रखा जाता था। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा का व्यवसायीकरण है।

वही बहुजन समाज पार्टी कार्यकर्ता चंद्रकान्त राव ने बताय की आशुतोष सिंह को दो बार ज्ञापन किया जा चुका है। सदन में मामला उठाए थे पर कोई रिस्पांस नहीं मिला है फिर हम लोगों ने दिया है कि आगे कुछ अच्छा हो एससी एसटी ओबीसी समस्त ओबरा व भाठ क्षेत्र के जो बच्चे हैं शिक्षा विहीन हो गए हैं। आज इतना व्यवस्था नहीं है हम गार्जियन के पास, शिक्षा की ओर लेकर जाएं अपने बच्चों को हम तो अपना कार्य कर रहे हैं जो हमारी पार्टी बहुजन समाज पार्टी है जितने हमारे कार्यकर्ता है संघर्ष रत है रिस्पांस नहीं मिला तो हम आगे बड़े जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

लोगों ने कहा फिलहाल वर्तमान में कॉलेज पर लगे बोर्ड पर किसी भी कॉलेज का नाम अंकित नहीं है। लेकिन विवाद अभी भी खत्म नहीं हुआ है। परियोजना प्रशासन पुरी तरह से DAV संस्था के साथ है और कॉलेज की बिल्डिंग पुरी तरह से निजी संस्था को सौपने पर उतारू है। हम बच्चों के भविष्य के लिए कुछ भी करने को तैयार है। ज़रूरत पड़ी तो सीएम योगी के पास जाकर न्याय की गुहार लगाएंगे। ज्ञापन सौपने के दौरान जितेंद्र कुमार भारती , पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रतिनिधि दिनेश कुमार , अंकुश राव, बहुजन समाज पार्टी सेक्टर अध्यक्ष राहुल राव व आकाश कुमार मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!