Chandauli Video: काशी नरेश द्वारा बनवाया गया तालाब अपनी विशालता कलात्मकता के कारण रहा है आकर्षण का केंद्र, अब हो रहा है बदहाल.
Story By: धर्मेंद्र जायसवाल, ब्यूरो चंदौली।
चंदौली। जिले के सुदूर पहाड़ी इलाके में प्राचीन समय के बने हुए कई ऐतिहासिक स्मारक व धरोहर हुआ करते थे। लेकिन शाशन व जिला प्रशासन द्वारा इन प्राचीन धरोहरों की ठीक से रख रखाव न कर पाने से कई धरोहर तो विलुप्त हो गए और कई विलुप्तता के कगार पर पहुच चुके है।
इन्ही में से एक काशी नरेश द्वारा सैकड़ो वर्ष पूर्व जिले के चकिया तहसील के शिकारगंज गावं में बना यह ऐतिहासिक तालाब है। जो आज अपने दुर्दशा पे आशु बहा रहा है। अगर जल्द इस विरासत को बचाने के लिए प्रयास नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी को इस ऐतिहासिक विरासत को सिर्फ किताबों फोटो और वीडियो में देखने को मिलेगा।
18 वीं शताब्दी में बना यह तालाब अपनी मजबूती व विशालता के लिए आज भी प्रसिद्ध है। तालाब के चारो ओर बनी नक्कासीदार सीढिया इस तालाब की ओर लोगो को बरबस ही आकर्षित करती है। देश की आजादी से पूर्व महाराजा काशी नरेश ने अपने विशाल कोठी के बगल में इस विशाल तालाब का निर्माण कराया था।
तक़रीबन पांच बीघे में फैले इस तालाब पर राजा रजवाडो के घोड़े, हाथी व उटो को पानी पिलाने में उपयोग किया जाता था। विशाल गहराई वाले इस तालाब के निर्माण के पीछे राजा महराजाओं द्वारा जल संरक्षण के प्रति गभीर होने की बाते भी सुनने को मिलती है। काशी स्टेट के समय ये जगह काशी नरेश की शिकारगाह हुआ करती थी।
शिकार के समय राजा अपने सैनिको के साथ यही विश्राम किया करते थे। पूरे जनपद में अपने तरह का विशाल और रमणीय एकलौता तालाब है। जो आज भी अपनी भव्यता के कारण लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन चकिया तहसील प्रशासन की उपेक्षा के कारन अब यहाँ अराजक तत्त्वों का जमावड़ा होने।
नक्कासीदार पत्थर की दीवारों को प्रचार का माध्यम बना दिया गया है। जबकि इस तालाब पर छठा पूजा पर हजारो की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते है। अगर जल्द ही इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया तो जिले के अन्य पौराणिक महत्व किविरास्तो की तरह ये तालाब भी अपना अस्तित्व खो बैठेगा।