Chandauli News: रेल यात्रियों के जीवन के साथ खिलवाड़, 150 रेलवे स्टालों की जांच की जिम्मेदारी महज एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी पर.

Story By: संदीप कुमार, बड़े बाबू, डीडीयू नगर।
चंदौली। डीडीयू रेल मंडल में खाने की गुणवत्ता की जांच कितनी अच्छे से हो रही है, इसका अंदाजा इसी से लग रहा है कि मात्र एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी पर 150 स्टालों की जांच की जिम्मेदारी है। जबकि विभाग में तीन लोगों के पद हैं। विभाग को प्रतिमाह स्टेशन के स्टाल और ट्रेनों के पेंट्रीकार से खाने के 12 नमूने एकत्र करने हैं। मानक के अनुरूप पैसा न मिलने के कारण छह से सात नमूने एकत्र किए जाते हैं। हावड़ा-दिल्ली रूट पर चालीस से अधिक रेलवे स्टेशन हैं। यदि इसमें सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन डीडीयू है।

यदि डीडीयू रेलवे स्टेशन की बात करें, तब यहां से रोजाना 25 से 30 हजार यात्री ट्रेनों पर सवार होते और उतरते हैं। वहीं यहां से रोजाना 110 जोड़ी से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। ट्रेनों में तीन लाख यात्री गुजरते हैं। डीडीयू रेल मंडल के स्टेशनों पर कुल 140 खान-पान के स्टाल हैं। वहीं ट्रेनों में पैंट्रीकार में खाने की गुणवत्ता की जांच की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा विभाग पर है। स्वास्थ्य विभाग के अधीन खाद्य सुरक्षा अधिकारी को स्टालों और पैंट्रीकार से प्रति माह खाने के 12 नमूने एकत्र कर इसकी जांच लैब में करानी है। खाद्य सुरक्षा विभाग में खाद्य सुरक्षा अधिकारी और दो सहायक के पद हैं। दूसरी तरफ मंडल की बात की जाए तो यहां सिर्फ खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही तैनात हैं। नियम के अनुसार उत्तर प्रदेश के स्टेशनों के स्टालों से लिए गए नमूने को लखनऊ भेजा जाता है। वहीं बिहार में स्थित स्टालों से लिए गए नमूने को पटना में स्थित लैब में भेजा जाता है। अब तक मंडल में पूरे वर्ष में 80 से अधिक खाद्य नमूने लिए गए हैं।

धन का अभाव बनता है कम नमूने लेने का कारण
ऐसा नहीं है कि खाद्य सुरक्षा विभाग खाद्य के नमूने नहीं लेना चाहता है, लेकिन पैसे का अभाव इसमें रोड़ा बन जाता है। खाद्य सुरक्षा विभाग को खाद्य का नमूना एकत्र करने, लैब में भेजने और जांच कराने के लिए प्रति माह दस हजार रुपये मिलते हैं। पूरे देश के किसी भी लैब में नमूने की जांच का रेट एक हजार रुपये निर्धारित है। वहीं नमूने को अच्छे से पैक कर ले जाना होता है। इसमें प्रति नमूने दो से तीन सौ रुपये खर्च हो जाते हैं।

इस तरह एक नमूने की जांच पर 12 से 13 सौ रुपये खर्च होते हैं। यदि 12 नमूने जांच कराएं तो लगभग 15 हजार रुपये खर्च आएंगे, लेकिन मात्र दस हजार रुपये मिलने के कारण कम नमूने एकत्र होते हैं। इस बाबत वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक राजीव रंजन ने बताया कि खाद्य पदार्थों की लगातार जांच की जाती है। यदि किसी स्टाल के खाद्य पदार्थ के नमूने फेल होते हैं, तब उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। धन की कमी आड़े आने की बात इसकी जांच कराई जाएगी। यात्रियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। उन्हें अच्छी गुणवत्ता का खाना परोसा जाएगा।