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Sonbhadra News: डीएवी संस्था की तानाशाही रवैया के खिलाफ स्थानीय लोग हुए मुखर, महंगे फीस और प्रिंसिपल की तानाशाही रवैया से नाराज है अभिभावक.

Story By: विकास कुमार हलचल, ओबरा।

सोनभद्र।

ओबरा परियोजना द्वारा संचालित ओबरा इंटर कॉलेज का प्रबंधन जब से डीएवी संस्था के हाथ गया है तब से डीएवी संस्था की तानाशाही रवैया के खिलाफ स्थानीय लोग मुखर दिख रहे है। कई बार स्थानीय लोग और पूर्व छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। शनिवार को ओबरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक ए. के. अग्रवाल को एक दल ने ज्ञापन सौपकर अपनी मांगों को रखा। आरोप है कि जनभावनाओं की उपेक्षा करते हुए विद्यालय को डीएवी संस्था को सौंप दिया गया।

जिसके बाद नियमों के विपरीत पुराने विद्यालय का बोर्ड हटाकर डीएवी का बोर्ड लगा दिया गया है। प्रधानाचार्या के कथित तानाशाही रवैये के कारण छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। पहले जहां 1700 छात्र थे, वहीं अब केवल 126 छात्र ही बचे हैं। यह कॉलेज लगभग 40 गांवों के हजारों विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का केंद्र था। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जनभावनाओं की उपेक्षा करते हुए विद्यालय को डीएवी संस्था को सौंप दिया गया। प्रधानाचार्या के कथित तानाशाही रवैये के कारण छात्र संख्या में भारी गिरावट आई है।

पहले जहां 1700 छात्र थे, वहीं अब केवल 126 छात्र ही बचे हैं। विद्यालय में शैक्षणिक स्थिति भी चिंताजनक है। अधिकांश विषयों के प्रवक्ता नहीं हैं। पिछले दो वर्षों से प्रयोगात्मक कक्षाएं भी नहीं हुई हैं। इसके बावजूद डीएवी के नाम पर प्रति छात्र 12,000 रुपये से अधिक की फीस वसूली की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नियमों के विपरीत पुराने विद्यालय का बोर्ड हटाकर डीएवी का बोर्ड लगा दिया गया है। उनका आरोप है कि डीएवी के नाम पर छात्रों का मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है।स्थानीय जनता ने प्रशासन से मांग की है कि इस स्थिति पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी स्थानीय निगम प्रबंधन की होगी।

ओबरा परियोजना के महाप्रबंधक को ज्ञापन देने वाला जितेंद्र कुमार भारती ने बताया पूर्व में ओबरा इंटर कॉलेज के नाम से मशहूर कॉलेज को डीएवी के हाथों लीज पर दे दिया गया है।इसी कॉलेज में दूर दराज के आदिवासी बच्चें जाकर शिक्षा दीक्षा ग्रहण करते थे। हालांकि पास में होने के कारण अभी भी मजबूरी में शिक्षा ग्रहण करते हैं। 12 गांव का केंद्र ओबरा शिक्षा के मामले में अव्वल है। इसलिए गांव के बच्चें ओबरा स्थित कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करते है। सीजीएम ए.के. अग्रवाल को ज्ञापन सौंप कर अवगत कराया गया है कि इस विषय पर ध्यान दें ताकि गरीब आदिवासी बच्चों का भला हो सके और मामले को उच्च अधिकारियों तक पहुंचने का काम किया जाये।

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रतिनिधि दिनेश कुमार ने बताया गरीब आदिवासी बच्चों को जिंदगी दाव पर लगी है। ये वही बच्चें है जो छोटे बड़े समाज से आते हैं। इन बच्चों का परियोजना के ओबरा कॉलेज से बहुत आशा जुड़ी हुई थी। जहां कुछ साल पहले 1500 से ऊपर के लगभग बच्चें पढ़ते थे आज मात्र 150 से नीचे बच्चें शिक्षा ग्रहण करने आते हैं। मिली जानकारी के अनुसार बच्चों ने स्कॉलरशिप का फॉर्म भरा था लेकिन डीएवी संस्था की लापरवाही से बच्चों का स्कॉलरशिप नहीं आ पाया। यह छोटा विषय नहीं है यह बहुत बड़ा विषय है। कई बार प्रदर्शन किया जा चुका है। आगे भी गरीब बच्चों के लिये जो भी करना होगा वो किया जाएगा।

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