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Sonbhadra News: आखिर क्यों डर के साये में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चें, दुद्धी तहसील एसडीएम की जांच में क्या निकल कर आया सामने!

Story By: अनुज जायसवाल, ब्यूरों सोनभद्र।

सोनभद्र।

प्रदेश की योगी सरकार भविष्य को ध्यान में रखकर विकास का खाखा तैयार करके चल रही है। लेकिन विकास के नाम पर मानवता का विनाश भी हो रहा है। बच्चें कल का भविष्य है लेकिन एक गांव ऐसा है जहां कल के भविष्य यानी स्कूली बच्चे डर के साए में जीने को मज़बूर है। जिससे भविष्य में तेज़ आवाज की धमक मात्र से ही बच्चों के अंदर डर बन जाएगा। जी हां आपने सही सुना सरकारी स्कूलों में बेहतर माहौल देने के लाख दावे के बीच सुरक्षा को ताक पर रखकर प्राथमिक विद्यालय से चंद कदमों की दुरी पर पहाड़ी पर खनन की अनुमति दे दी गई।

जब खनन की अनुमति दी गई तो जाहिर सी बात है फर्म के डाइरेक्टर मोटी रकम कमाने के लिए हर वो हटकन्धा अपनायेगा जो जिओ में है ही नहीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पैसों की लालच ने ऐसा अंधा कर दिया है कि आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले मासूम भी धमाकों के बीच आंगनबाड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं। तेज धमाकों के कारण प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और गांव में बने मकानों में भी दरारें आ गई हैं। पहाड़ों के बीच सुंदर वादियों में बसा गांव और गांव वाले अपने आप को प्राकृतिक वातावरण में रहकर अपने आपको धन्य मानते थे लेकिन यही पहाड़ उनके लिए मुसीबत बन जाएगा और भविष्य में उनकि कब्रगाह साबित होगा ऐसा कभी शांत माहौल में शांत गांव के रहवासियों ने सोचा भी नहीं होगा।

इंसानों को छोड़िए वो बोल कर अपना दुःख साझा कर लेंगे उन बेबस पहाड़ और जंगल में रहने वाले जंगली जानवरों का सोचिये जिनका ठिकाना ही पहाड़ होता है वो भी इन धमाकों के कारण काफी परेशानी हो रही है। पालतू जानवर भी तेज़ ब्लास्टिंग की आवाज़ से इधर उधर भागते नज़र आते है। पालतू जानवरों के भागने के दौरान उनकी चपेट में आने से कई बच्चें सहित ग्रामीण भी घायल हो चुके है और ये सब हो रहा है स्थालीय निरिक्षण को दरकिनार कर जिला प्रशासन द्वारा गांव में स्थित पहाड़ियों को ब्लास्ट कर तोड़ने के लिए दिए गए आदेश की वजह से जो मानव जीवन की बेबसी को दिखाता है। दरअसल, जिले के दुद्धी तहसील क्षेत्र का जाताजुआ गांव और बघमंदवा जो कि पहाड़ियों के बीच बसा है।

दोनों पहाड़ियों को खनन के लिए जिला प्रशासन द्वारा जाताजुआ गांव में पहाड़ी का ई-टेंडर के माध्यम से 09-01-2023 से 08-01-2033 तक लाइफमैप बिल्डर्स प्रा. लि. के डायरेक्टर अजय सिंह के नाम से 1.670 हेक्टेयर का पट्टा दिया गया है। जबकि बघमंदवा गांव में 17 दिसंबर 2023 से 16 दिसंबर 2033 तक ए.के.एस हाइवे प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. के डायरेक्टर अजय कुमार सिंह को रकबा 2.9950 हेक्टेयर का पट्टा हुआ है, जहां से हैवी ब्लास्टिंग कर पहाड़ को तोड़कर पत्थरों का उठान हो रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि खनन के लिए पहाड़ों के आवंटन के पूर्व न तो राजस्व विभाग और न ही खनन विभाग ने गांव का दौरा किया और न ही मौके की वस्तु स्थिति को जाना।

बड़ी बात यह है कि जहां खनन की परमिशन दी गई है, वहां से 100 से 150 मीटर की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय और महज 25 मीटर की दूरी पर आंगनबाड़ी केंद्र है। इन पहाड़ों को तोड़ने के लिए हैवी ब्लास्टिंग के लिए बारूद का इस्तेमाल करने की भी अनुमति विभागों द्वारा दे दी गई है। पिछले 1 साल से सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 1 मार्च 2025 से खनन करने वाली कंपनियां नियम और कायदे को ताक पर रखकर हैवी ब्लास्टिंग करना शुरू कर दिया, इस कारण ग्रामीणों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हैवी ब्लास्टिंग के कारण प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और गांव में बने मकानों में दरारें आ गई हैं। यही नहीं, ब्लास्टिंग के समय उड़े पत्थर के टुकड़े प्राथमिक विद्यालय और ग्रामीणों के घरों तक आ रहे हैं, जिससे लोगों की जान को खतरा बना हुआ है।

प्राथमिक विद्यालय जहां डर के साये में पठन-पाठन करने को मजबूर है, वहीं ग्रामीण भी जान हथेली पर लेकर अपने खेती-बाड़ी और जानवरों की देखभाल और आवागमन करने को मजबूर हैं। मामले की जानकारी होने पर जब टीम गांव में पहुंची और पूरे मामले की बारीकीयों पड़ताल की। हमने जब ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर देखा तो ग्रामीणों की बातें बिल्कुल सही पाई गईं। टीम ने ब्लास्टिंग को भी कवरेज किया और आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्लास्टिंग का समय जिला प्रशासन द्वारा दोपहर 12:00 से 2:00 तक का दिया गया है, जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य सुबह 9:00 से दोपहर 3:00 तक होता है। दुद्धी तहसील क्षेत्र का जाताजुआ गांव और बघमंदवा गांव एक दूसरे से सटे हुए हैं। जाताजुआ गांव की आबादी लगभग 3000 है, जबकि बघमंदवा गांव की आबादी लगभग 2500 है। गांव के लोग खेती और जंगल से अपना जीवन यापन करते हैं।

दोनों गांव के बच्चों के शिक्षण कार्य के लिए सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया है। जाताजुआ गांव में हैवी ब्लास्टिंग के लिए जो पहाड़ को तोड़ा जा रहा है, वहां से प्राथमिक विद्यालय की दूरी लगभग 150 मीटर है, जबकि आंगनबाड़ी केंद्र महज 25 से 30 मीटर की दूरी पर है। विद्यालय में सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक जहां शिक्षण कार्य चलता है, वहीं आंगनबाड़ी केंद्र में भी सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक नन्हे-मुन्ने बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा पढ़ाया जाता है। इन सबके बीच दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे के बीच हैवी ब्लास्टिंग कर इन पहाड़ों को तोड़ा जाता है, जिसके कारण तेज धमाके होते हैं, जिससे विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चे डर जाते हैं। लगातार हो रही हैवी ब्लास्टिंग के कारण गांव के मकानों में भी दरारें पड़ने लगी हैं, जबकि आंगनबाड़ी केंद्र और प्राथमिक विद्यालय की दीवारों में भी दरार आ गई है।


टीम ने प्राथमिक विद्यालय जाताजुआ का दौरा किया। वहां पर विद्यालय की दीवारों में दरार पाई गई। हमने जब विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सुरेश कुमार से बात की, तो उन्होंने बताया कि शिक्षण कार्य के दौरान दोपहर 2:00 से 3:00 के बीच तेज धमाके होते हैं। साथ ही कंपनी भी कभी-कभी होती है, जिससे बच्चे डर जाते हैं। इन तेज धमाकों के कारण बच्चों के अंदर तेज आवाज का डर बनता जा रहा है। भविष्य में यह बच्चे तेज आवाज से डरना शुरू कर देंगे। वहीं बच्चों ने बताया कि पढ़ाई के दौरान तेज धमाके होते हैं और कंपन होता है। जबकि प्राथमिक विद्यालय में काम करने वाली रसोइया ने बताया कि तेज धमाकों के कारण मकानों में दरारें पड़ रही हैं, जिससे उनका जीना दुश्वार हो गया है। यही नहीं, तेज धमाकों के कारण कंपन भी होने लगता है, जिससे लोग डर जाते हैं।

कवरेज के दौरान ही दोपहर 2 से 3 के बीच हैवी ब्लास्टिंग को भी टीम ने कवर किया। ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन से शिकायत की। यहां तक कि 6 मार्च को गांव के लोग एसडीएम दुद्धी के पास पहुंचे और तत्काल प्रभाव से पहाड़ों को तोड़ने के लिए की जा रही हैवी ब्लास्टिंग को रोकने की मांग की। हालांकि इस मामले को लेकर न तो जिला प्रशासन ने कोई ध्यान दिया और न ही तहसील प्रशासन ने। ग्रामीणों ने नियमों को ताक पर रखकर हो रही हैवी ब्लास्टिंग को रोकने की जिला प्रशासन से मांग की है।

ग्रामीणों ने प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए अवैध खनन को तुरंत रोकने की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि आबादी से महज 150 मीटर की दूरी पर खनन पट्टा देना नियमों के खिलाफ है। उत्तर प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण) नियमावली, 2018 के अनुसार, खनन स्थल आबादी, जल स्रोतों और सार्वजनिक स्थलों से उचित दूरी पर होना चाहिए। नियमों के बावजूद यहां खनन की अनुमति दी गई है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हैवी ब्लास्टिंग के मामले की कवरेज की जानकारी होने पर गांव में दुद्धी तहसील के एसडीएम निखिल यादव जाताजुआ गांव और बघमंदवा गांव पहुंचे और दोनों गांव का निरीक्षण किया। इस दौरान एसडीएम साहब ने ग्रामीणों से बात की और पूरे मामले की जानकारी भी ली।

ड्यूटी एसडीएम निखिल यादव ने बताया कि जाताजुआ और बघमंदवा गांव में शिकायत मिली थी, मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया। उन्होंने बताया कि लाइफमैप बिल्डर्स जिनके डायरेक्टर अजय कुमार सिंह हैं, के द्वारा जो यहां पर ब्लास्टिंग किया जा रहा है, उनके कागज दिखाए गए, पर अभी तक कागजों से संतुष्टि नहीं हो पाई है। इसमें अब आगे इन्हें नोटिस भी जाएगा ताकि अपने कागज पूरी तरह दिखाएं। यदि यहां पर किसी तरह से अवैध तरीके से ब्लास्टिंग की जा रही है, तो उनके खिलाफ उचित धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।

जब तक इसकी पुष्टि नहीं हो जाती कि क्या ब्लास्टिंग बच्चों के लिए हो रही है या नहीं, जो नियम निर्धारित किए गए हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए ब्लास्टिंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अब देखना होगा कि खबर को दिखाने के बाद प्रदेश की योगी सरकार और सोनभद्र जिला प्रशासन इस मामले में क्या रुख अख्तियार करते हैं। क्या इस पूरे मामले की जांच की जाएगी और क्या इसमें कहीं लापरवाही है, तो दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी।

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