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Sonbhadra News: सोनभद्र में होता है बड़े पैमाने पर हर्बल रंग गुलाल तैयार, आधा दर्जन से ज्यादा कार्पोरेट घरानों से आई बड़ी डिमांड.

Story By: अनुज जायसवाल, ब्यूरों सोनभद्र।

सोनभद्र।

सोनभद्र जिला कई प्राकृतिक संपदाओं से भरा पड़ा है, जल जंगल और जमीन प्रचुर मात्रा में प्रकृति ने यहां दिया हैं। यहां मौजूद प्राकृतिक संपदाओं का अब सदुपयोग भी किया जा रहा है, हम बात कर रहे हैं हर्बल रंग और गुलाल की। जी हां फूलों और सब्जियों से यहां महिलाएं हर्बल रंग अबीर गुलाल बना रही हैं।

जो पूरी तरह से त्वचा को हानि नहीं पहुंचाएंगी। इस हर्बल रंग की डिमांड भी तेजी से हो रही है, आधा दर्जन से ज्यादा कार्पोरेट घरानों ने दो सौ किलो से ज्यादा हर्बल रंग की डिमांड की है, इससे महिलाएं स्वावलंब बनने की ओर अग्रसर भी हैं। आजीविका मिशन की महिलाएं वैसे तो कई प्रोडक्ट तैयार करती रहती हैं।

चाहे वो बकरी के दूध से निर्मित साबुन हो या कुछ और लेकिन अब समूह की महिलाएं फूलों और सब्जियों से हर्बल रंग तैयार कर रही हैं। जनपद के दस ब्लाक के करीब दो सौ से ज्यादा महिलाएं पलास, गेंदे के फूल और पालक, चुकंदर समेत अन्य सब्जियों से रंग गुलाल अबीर तैयार कर रही हैं, जिनकी डिमांड भी खूब हो रहीं है। आजीविका मिशन के उपायुक्त ने बताया कि बीते दो साल से यहां हर्बल कलर बनाए जा रहे हैं।

यहां पर पलास के फूल पर्याप्त मात्रा में पाए जाते है। समूह की महिलाएं पलास के फूल से आरेंज कलर, चुकंदर से बैंगनी क्लर, गेंदे के फूल से पीला कलर महिलाएं बना रही हम साथ ही पालक सब्जी से हरा कलर, बना रही हैं। बता दे कि सोनभद्र को बिजली का हब कहा जाता है, यहां दर्जनों कार्पोरेट घराने मौजूद हैं।

उपायुक्त स्वतः रोजगार ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि आधा दर्जन से ज्यादा कार्पोरेट घरानों ने हर्बल रंग की डिमांड किया है, दो सौ किलो से ज्यादा की डिमांड आ गई है। जिसे सभी दस ब्लाकों के 210 महिलाओं के द्वारा इस हर्बल कलर को तैयार किया जा रहा है, आजीविका मिशन की महिलाएं इससे आर्थिक रूप से सशक्त और मजबूत हो रही हैं।

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