Sonbhadra News: जिले में आत्महत्या का आंकड़ा चौकाने वाला, 15 से 40 साल तक के लोग ज्यादा कर रहे आत्महत्या.
Story By: संगम पांडेय, रॉबर्ट्सगंज।
सोनभद्र।
जिले में युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। आत्महत्या करने वालों में 15 साल से लेकर 40 साल तक के लोगों की संख्या 85 फीसदी बताई जा रही है। इसके पीछे पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी, प़ढ़ाई का दबाव या मानसिक तनाव रहा है। आकड़ाें पर गौर करें तो वर्ष 2021 में आत्महत्या के लगभग 160 मामले सामने आए थे। 2022 में यह बढ़कर करीब 203 हो गई। जबकि 2023 में संख्या 200 के पार रही। कुछ यहीं स्थिति 2024 में भी है। जिले में इस साल 95 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है। इनमें 15 वर्ष से 40 वर्ष तक के लोगों की संख्या 85 फीसदी है। अगर चार सालों के आकड़ों पर गौर करें तो औसत जिले में अमूमन हर दूसरे दिन एक व्यक्ति खुदकुशी रहा है। पढ़ाई के दबाव, बेरोजगारी, आर्थिक तंगी से परेशान होकर लोग यह कदम उठा रहे हैं। जिले में चार महीने में 40 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है। इनमें अधिकांश युवा हैं। जिला अस्पताल में रोजाना एक से तीन मरीज आत्महत्या के प्रयास वाले पहुंच रहे हैं। जिले में ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग रहा है। ऐसी घटनाओं में किसी को अपना बेटा खोना पड़ा तो किसी का सुहाग उजड़ गया। किसी घटना में बेटे के सिर से मां का साया हट गया। वही डॉक्टर ऋचा पांडेय ने बढ़ती आत्महत्या की घटना को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने बताया कि अभिभावकों को अपने बच्चों को सुनना और समझना चाहिए। बच्चें आपसे क्या कहना चाहते है। अभिभावकों को बच्चों की पूरी बातों को अच्छे से सुनने की कोशिश करना चाहिए। बच्चों से क्या बात करना है क्या उसके दिमाग में ऐसा चल रहा है। अगर अभिभावक बच्चों के रहन सहन और दिमाग या व्यवहार को नहीं समझ पा रहा है तो इस सिलसिले में डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। बच्चों की बहुत सी ज़रूरते होती है। लेकिन हर ज़रूरत को पूरा नहीं किया जा सकता। इसके लिए प्रॉपर्ली समझाना है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है पेरेंट्स और बच्चों में प्रॉपर बॉन्डिंग कनेक्शन होना जरूरी है। बच्चों में एक फ्रेंडली वातावरण होना चाहिए। फ्रेंड और गाइड दोनों का प्रॉपर बैलेंस होना चाहिए।