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Sonbhadra News: जाम की कोढ़ का तोड़ आखिर निकलेगा कैसे, धड़ल्ले से चल रहे ओवरलोड ट्रकों के संचालन पर प्रशासन की मौन स्वीकृति क्यों?

Story By: अनुज जायसवाल, ब्यूरों सोनभद्र।

सोनभद्र।

देश के नक्शे में रेणुकूट नगर का विशेष स्थान उद्योगीग नगर को लेकर है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही से अब रेणुकूट को जाम की नगर की संज्ञा मिलते देर नहीं लगेगी। नगर क्षेत्र में आए दिन लग रहे जाम के बावजूद ओवरलोड ट्रकों के धड़ल्ले से संचालन जारी है। बावजूद इसके जाम की झाम से बचने का कोई ठोस उपाय प्रशासन की तरफ से नहीं किया जा रहा। जाम की वजह से लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही है।

इतना ही नहीं जाम की झाम में एक मासूम व्यक्ति की जान तक चली गई फिर भी प्रशासन जाम को लेकर न ही सतर्क है और न ही सजग। रहवासियों को प्रतिदिन जाम की झाम की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। बीते दो दिनों से भी नगर सहित पिपरी थाना क्षेत्र में जाम के कारण काफी परेशानी हुई। गुरुवार की रात से नगर में लगा जाम शुक्रवार की सुबह तक मुश्किलें खड़ी करता रहा।

जिसके चलते एक बार फिर स्कूली बच्चों और ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई। जहां तमाम मजदूर अपने कार्य पर समय से नहीं पहुंच सके तो वही स्कूली बच्चों को भी बस न आने की वजह से वापस घर लौटना पड़ा। लोगों का आरोप है कि आये दिन लगने वाले जाम का मुख्य कारण ओवरलोड वाहन है जो अक्सर रास्ते में ही खराब हो जा रहे हैं।

लेकिन प्रशासन लोगों की परेशानियों को नजरअंदाज करता आ रहा है। दो लेन की सड़क होने की वजह से जाम लग जा रहा है। इसी जाम में फंसकर दूसरे ओवरलोड वाहनों के खराब हो जाने से स्थिति और भी भयावक हो जाती है। जाम की समस्या खत्म होने की बजाय बढ़ती जा रही है। हाथीनाला से शक्तिनगर तक सड़क पर पटरियों के न होने से भी स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो रही है पटरियों पर जगह-जगह बने बड़े-बड़े गड्ढे भी जाम न हटने का कारण बन रहे हैं।

यदि पटरियों को मिट्टी और पत्थर से ही भर दिया जाए तो इस पर गाड़ियां किनारे लग सकती है लेकिन इस संबंध में भी कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। जाम की वजह से बस में फंसे यात्रियों को भी बस से उतरकर पदयात्रा करनी पड़ी, छत्तीसगढ़ निवासी निरंजन कुमार ने बताया कि वह मुर्धवा मोड़ से 2 किलोमीटर पहले जंगल में ही बस से उतरकर मुर्धवा मोड पहुंचे उन्होंने कहा कि यह सब प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है यदि प्रशासन ओवरलोड वाहनों का संचालन बंद कर दे तो ऐसी स्थिति नहीं होगी।

आखिर जाम कोढ़ का तोड़ कैसे निकलेगा ये प्रशासन को सोचना है। प्रशासन को वाहन संचालकों से मिलकर इसका हल निकालना ही होगा और ओवरलोड वाहन संचालन पर अंकुश लगाना ही होगा। रोड की देखरेख कर रही कंपनी को भी योगी के आदेश को मानकर गड्ढा मुक्त सड़क देना ही होगा।

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