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Chandauli News: मानव तस्करी रोकने में आरपीएफ की भूमिका अहम.

Story By: संदीप कुमार, बड़ा बाबू, डीडीयू नगर।   

चंदौली। मानव तस्करी को रोकने के लिए रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए हाजीपुर जोन के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त अमरेश कुमार प्रधान ने बताया कि मानव तस्करी, शोषण के उद्देश्य से, धोखाधड़ी या जबरदस्ती के माध्यम से व्यक्तियों की मानव विशेषकर महिलाओं और बच्चों को असामाजिक तत्वों द्वारा नौकरी, रुपयों तथा अच्छे जीवन जीने के लिए सुख-सुविधाओं का प्रलोभन देकर यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, जबरन काम कराना, जबरन विवाह कराना, घरेलु नौकर, गोद लेने, भीख मांगने, अंग प्रत्यारोपण, मादक पदार्थों की तस्करी के कार्यों हेतु मानव तस्करी कर उपयोग में लाया जाता है। मानव तस्कर द्वारा गरीब लोगों को निशाना बनाया जाता है, जो बेहद दयनीय स्थिति में अपना जीवन-यापन करते हैं। ऐसी गतिविधियां भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मानवाधिकारों का पूर्णतः उल्लंघन हैं। रेलवे सुरक्षा बल को मानव तस्करी के मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं है, फिर भी रेलवे सुरक्षा बल इसमें राजकीय रेल पुलिस/स्थानीय पुलिस के प्रयासों में सहायता करती है। रेलवे का नेटवर्क सम्पूर्ण भारत में होने के कारण रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका इस तरह के अपराधों की रोकथाम हेतु काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।

आरपीएफ रेलवे सुरक्षा बल अधिनियम के तहत करता है कार्य 

रेलवे सुरक्षा बल अधिनियम, 1957 के अनुसार रेलवे सुरक्षा बल रेल सीमा के भीतर अपने दायित्वों का निर्वहन करता है। रेलवे सुरक्षा बल कई मौकों पर अकेले ही मानव तस्करी के मामलों को पकड़ता है। मानव तस्करों तथा उनके चंगुल से मुक्त किए गए बच्चों को अग्रिम कानूनी कार्यवाही हेतु जीआरपी को सौंपा जाता है। बच्चों की सुरक्षा के लिए इस संबंध में विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से खुफिया जानकारी एकत्र की जाती है। विगत तीन वर्षों (2022, 2023 व 2024) में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा पूरे भारत में 2614 व्यक्तियों, जिनमें बच्चे शामिल हैं, को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया तथा 753 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया।

डीडीयू जंक्शन
डीडीयू जंक्शन

रेलवे सुरक्षा बल की 53 टीमों का किया गया गठन

अब तक मानव तस्करी के खिलाफ कार्यवाही हेतु 53 रेलवे सुरक्षा बल की टीमों का गठन किया जा चुका है। रेलवे सुरक्षा बल सक्रिय रूप से रेलवे स्टेशनों पर, रेल उपयोगकर्ताओं, रेलवे ट्रैक के आस-पास रहने वाले लोगों, यात्रियों व स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाकर मानव तस्करी से संबंधित संकेतों के बारे में शिक्षित करती है। संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट कानून को प्रवर्तन करने वाले एजेंसियों को करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

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