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Sonbhadra News: दुर्दशा पर अपने आंशु बहा रहासामुदायिक शौचालय, बाल्टी लेकर शौच जाने को मज़बूर लोग.

Story By: विकास कुमार हलचल, ओबरा।

सोनभद्र।

ओबरा तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बिल्ली मारकुंडी टोला खैरटिया में बने सामुदायिक शौचालय खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है। बिना देख रेख के शौचालय में मूलभूत सुविधाओं का तोता पड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों ने कई बार सम्बंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस विषय में अवगत कराया फिर भी सम्बंधित अधिकारी व जनप्रतिनिधि शौचालय की सुध लेने की जहमत नहीं उठा रहे है। जबकि ओडीएफ के लिए गांव में शौचालय का निर्माण कराया गया था।

लेकिन आलम यह है कि शौचालय में लगी पाइप और टूटी टूट गईं है और रिपेयरिंग न होने से लगातार शौचालय में सुविधाओं कि कमी हो गईं है। यहां तक की नियमित सफाई न होने से गंदगी का अम्बार साफ देखा जा सकता है। टोटी न होने से पानी की सप्लाई अवरूध है जिस वजह से लोग बाल्टी या डब्बा लेकर शौच जाने को मजबूर है। यहां तक की शौचालय में लगे दरवाजे भी अपनी दुर्दशा पर आंशु बहा रहा है।

उक्त शौचालय को 2007 में इस लिए बनाया गया था की क्षेत्र की जनता खेतों व अन्य खुले स्थान पर शौच करने की बजाय सरकार की तरफ से बने सामुदायिक शौचालय का प्रयोग कर क्षेत्र में दूषित वातावरण से मुक्ति मिले। मिली जानकारी के अनुसार शौचालय बनने के ही कुछ वर्षो बाद लाखों की लागत से शौचालय का कायाकल्प भी कराया गया। जिसके बाद धनराशि का बंटरबात होने की बात सामने आई है और घटियां कार्य की वजह से शौचालय की स्थित दयनीय होती चली गईं। एक बार फिर शौचालय को दुरुस्त करने की मांग स्थानीय लोगों की तरफ से कही जा रही है।

वही स्थानीय निवासी राजेंद्र भारती ने बताया कि शौचालय को लेकर साफ-सफाई कभी नहीं देखी गई है। पानी का साधन भी नहीं है, ना ही शौचालय के बाद हाथ धोने के लिए निरमा या साबुन रखा जाता है। बहुत ज्यादा गंदगी होने पर ग्रामीण मौका मिलने पर शौचालय की सफाई अपने से करने की बात कह रहे हैं। ग्रामीण ने आरोप लगाया कि शौचालय का चैंबर पूरा भर गया है लैट्रिन बाथरूम का सीट भर गया है। टंकी टूट गया है नल भी टूटी पड़ी है।

यहां तक कि दरवाजा भी टूट गया है। खराब कार्य होने से दीवाल का प्लास्टर भी टूट कर गिर जा रहा है। जल्द ही शौचालय को दुरुस्त करके फिर से सुचारू रूप से चालू कराने की बात ग्रामीण कह रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि शौचालय में खड़ा होने का मन नहीं करता तो शौच करने की बात ही छोड़ दीजिए। हालांकि मजबूरी में शौचालय में जाना पड़ता है।

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