
Story By: संदीप कुमार, बड़े बाबू, डीडीयू नगर।
चंदौली। आरपीएफ, बचपन बचाओ आंदोलन, चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीम ने ट्रेन से गुजरात में नट-बोल्ट बनाने वाली कंपनी में काम कराने के लिए नाबालिगों को ले जा रहे 07 ट्रैफिकर को पकड़ा। गुरुवार को अलग-अलग ट्रेनों से 17 नाबालिगों को मुक्त कराया गया। नाबालिगों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए चाइल्ड लाइन को सुपुर्द कर दिया गया। वहीं, ट्रैफिकर को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के हवाले कर दिया गया।

डीडीयू जंक्शन आरपीएफ स्टेशन पोस्ट प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार रावत ने बताया कि आरपीएफ, चाइल्ड हेल्प डेस्क, सहायक परियोजना अधिकारी बचपन बचाओ आंदोलन चंदा गुप्ता के सहयोग से पीडीडीयू जंक्शन पर ऑपरेशन आहट के तहत अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत सुबह अप 15668 गांधीधाम एक्सप्रेस से 08 नाबालिग बच्चों को उतारा गया। इस दौरान नाबालिगों को ले जा रहे 04 ट्रैफिकर क्रमशः अजय कुमार निवासी कोहिला, थाना डगरूआ, जिला पूर्णिया बिहार, दिलखुश कुमार निवासी महमादगंज थाना छातापुर सुपौल बिहार, प्रिंस कुमार निवासी वार्ड संख्या 13 महमादगंज छातापुर, सुपौल और अलीमुद्दीन निवासी तिनकोनिया जोगीघोपा, बोगाईगांव आसाम को गिरफ्तार किया गया।

इसके कुछ देर बाद ही अप सीमांचल एक्सप्रेस से 09 नाबालिगों को मुक्त कराया गया। इस दौरान नाबालिगों को ले जाने वाले तीन तस्कर मोहम्मद मुस्ताक दफाली निवासी लखना, पूर्णिया बिहार, अजय हंसदा निवासी मसूरिया, पूर्णिया बिहार और मोहम्मद शाहिद निवासी बगडहरा जोकीहाट अररिया बिहार को गिरफ्तार किया गया। मुक्त कराए गए सभी नाबालिगों में 11 पूर्णिया, 03 अररिया, 01 सुपौल, 01 रायबरेली (यूपी), 01 गोलपारा आसाम के हैं।

सभी ट्रैफिकर ने बताया कि नाबालिगों के माता-पिता को रुपयों का लालच देकर सभी नाबालिगों को गांधीधाम गुजरात और दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर सिलाई एवं नट-बोल्ट बनाने वाली कंपनी में प्रतिदिन 12 घंटे कार्य कराने के लिए ले जा रहे हैं। यहां इसके काम के बदले आठ से नौ हजार रुपए प्रति माह दिया जाता।