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Varanasi News: शिवपुराण कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताई शिव महिमा, जो है वही बाबा को अर्पित कीजिए, मेरा शंकर केवल देना जानता है.

Story By: पूर्वांचल भास्कर डेस्क।

वाराणसी। सतुआ बाबा गौशाला डोमरी में महामंडलेश्वर संतोष दास सातुवा बाबा के सानिध्य में आयोजित सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा जी (सीहोर वाले) ने शिवमहापुराण कथा को आगे बढ़ाते हुए काशी के रान्तिदेव बनिया की कहानी सुनाई। कहानी में किस प्रकार बनिए ने अपनी कंजूसी के साथ भी भगवान शिव की भक्ति की और जब उसे इस बात का ज्ञान हुआ कि किस प्रकार वह एक लोटा जल कंजूसी में चढ़ाता था। ऐसा देखते हुए बाकी भक्त उसका उपहास उड़ाते थे। परंतु उसे क्या पता था कि भगवान को वास्तव में वह जल ही उसके नियत से प्राप्त हो रहा था और भगवान इसी में प्रसन्न थे। परंतु उसके बेटे को उसे एक लोटा जल को चढ़ाने में लज्जा आती थी। क्योंकि बाकी भक्त दूध चढ़ाते थे। परंतु शिव बड़े भोले हैं। वह सभी की बात सुनते हैं।

एक बार की बात है, रान्तिदेव का बेटा बेलपत्र लेने बगीचे में गया। माली ने बेलपत्र देने से मना कर दिया उसकी कंजूसी को देखते हुए। जब बच्चे ने रान्तिदेव से यह बात कही तो वह रोने लगा और सोचने लगा कि मुझे आज बेलपत्र देने से भी लोग मना करने लगे। आज से मैं मांग के नहीं, जो मेरे पास है वही बाबा को समर्पित करूंगा। “जो है वही बाबा को अर्पित कीजिए, मांग कर या उधर मांग कर मत दीजिए”। इस प्रकार कथा के दूसरे दिन रान्तिदेव की कहानी के आसपास पूरी कथा घूमती रही और किस प्रकार उसने कंजूसी के साथ अपने भगवान शिव को प्रसन्न किया। इस बात का वर्णन अपनी कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा। वही एक कहानी में ठहाका लगाते हुए अपनी कथा में उन्होंने एक चर्चा में कहा कि छोरी ने छोरा को दिल दे दिया और छोरा आज तक उसके मोबाइल में बैलेंस डलवाता है।

ठीक उसी प्रकार यदि आज हम अपने भोलेनाथ को दिल दे देंगे तो हमारे भी जीवन की स्वास्थ्य सांस की डोर और उसका बैंक बैलेंस भगवान भोले बाबा रिचार्ज कर देंगे। भोले बाबा ने लक्ष्मी मां के वैभव की झोली को भर दिया था। जो लोग मेरे बाबा दरवाजे पर आते हैं। वह कभी खाली झोली नहीं जाते हैं। उसका नाम विश्वनाथ है, नाथन का वह नाथ बाबा विश्वनाथ है। वही “अपन नगरी अपन नगरी हमरा ले ले चल हो बाबा अपन नगरी” और “मैं तो पड़ी थी गंगा किनारे, मैं तो बैठी थी यमुना किनारे, दिल तुझको दिया तो भोलेनाथ” जैसे भजन से श्रोता झूमने लगे। कथा के अंत में पुनः प्रदीप मिश्रा ने लोगों से मां गंगा के गोद और कथा को साफ और स्वच्छ रखने की बात कही।

अंत में आरती के साथ कथा का दूसरा दिन समाप्त हुआ। इस बीच मंच पर महामंडलेश्वर संतोष दास सातुवा बाबा के साथ आयोजन समिति के संजय केशरी, संदीप केसरी, नीरज केशरी सहित संजय माहेश्वरी बाबू, कथा में आए हुए जजमान व लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। भगवान भोलेनाथ को दूध चढ़ाएं, परंतु शुद्ध देसी गाय का। वही लोगों से अनुरोध किया कि आप बाबा को जो जल चढ़ाते हैं। वह एक लोटा जल यदि सदा जल हो तो ज्यादा अच्छा है। दूध चढ़ने के चक्कर में दुकानदार पैकेट का दूध बेचते हैं। वह बाबा के शिवलिंग को धीरे-धीरे छिड़क देते हैं। इसलिए मैं सभी दुकानदार और श्रद्धालुओं से निवेदन करता हूं कि दूध चढ़ाना है। भले ही वह एक बूंद हो, परंतु शुद्ध देसी गाय का ही दूध चढ़ाएं और अनाथ भगवान को एक लोटा जल ही अर्पित करें।

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