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Sonbhadra News: पाक्सो एक्ट में दोषी संतोष कुमार खरवार को 20 वर्ष की कठोर कैद.

Story By: अनुज जायसवाल, ब्यूरो सोनभद्र।

सोनभद्र।

ढाई वर्ष पूर्व 17 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ हुए बलात्कार के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष कुमार खरवार को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं एक लाख 50 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख 20 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक बभनी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने बभनी थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि उसकी 17 वर्षीय नाबालिग बेटी बभनी स्थित एक कम्प्यूटर सेंटर में काम करती थी। वह 5 मई 2022 को सुबह 9 बजे कम्प्यूटर सेंटर कार्य करने को कहकर निकली थी जो वापस नहीं लौटी। बेटी की हर संभावित जगहों पर तलाश की गई, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। इसी बीच उसकी दूसरी बेटी को पता चला कि संतोष कुमार खरवार पुत्र दलवीर सिंह निवासी बभनी जरहा टोला, थाना बभनी , जिला सोनभद्र उसे भगा ले गया है। जब बेटी ने मोबाइल से बात किया तो संतोष कुमार खरवार ने कहा कि तुम्हारी बहन से शादी कर लिया हूं। जो तुम्हें करना हो कर लो। नाबालिग बेटी को बभनी से अपहरण कर दिल्ली ले गया है तो बेटी के साथ कोई अप्रिय घटना कारित कर सकता है। इस तहरीर पर पुलिस ने 18 मई 2022 को अपहरण की एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचना के दौरान बलात्कार और पाक्सो एक्ट की धारा में बढ़ोत्तरी की गई। विवेचक ने बयान लेने के बाद पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में अपहरण, बलात्कार और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, 9 गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष कुमार खरवार को 20 वर्ष की कठोर कैद एवं एख लाख 50 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से एक लाख 20 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।

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