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Chandauli News: योगी सरकार के सुरक्षा सुशासन के आठ साल को लेकर पूर्व सपा विधायक ने सैयदराजा के बीजेपी विधायक पर बोला हमला. 

Story By: खुशहाल पठान।

चंदौली। सूबे में चल रहे यूपी उत्सव के अंतिम दिन सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू शुक्रवार को भाजपा विधायक सुशील सिंह से कई सवाल किए। कहा कि सैयदराजा विधायक, भाजपा सरकार के कसीदे पढ़ते हुए योजनाएं गिना रहे हैं कि सरकार गरीबों को आवास, राशन व किसान सम्मान निधि दे रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुशील सिंह सैयदराजा विधायक नहीं होते तो ये सुविधाएं सैयदराजा विधानसभा की जनता को नहीं मिलती। चार बार के विधायक होने के नाते भी आठ साल में एक भी बड़ा काम कराने में सुशील सिंह नाकाम रहे हैं। मनोज सिंह डब्लू ने सवाल किया कि अनुभवी विधायक होते हुए भी सुशील सिंह सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में एक भी इंजीनियरिंग, तकनीकी एवं एग्रीकल्चर कॉलेज की स्थापना कराने में नाकाम रहे। ना ही बेटियों की शिक्षा के लिए कोई आधारशिला रखने में सफल रहे। धानापुर को तहसील बनाने का इनका दावा आज भी अधूरा है। इतना ही नहीं, चोचकपुर में पक्का पुल निर्माण का वादा भी लंबे समय से हवा में झूल रहा है। कुम्भ मेले के मद्देनजर चोचकपुर से हटाए गए पीपा को भी वापस मंगाने में विधायक सुशील सिंह नाकाम रहे। ऐसे में क्षेत्रीय जनता हर दिन दुश्वारी झेल रही है। कहा कि सैयदराजा विधायक बीते आठ सालों में 20-24 बार मुख्यमंत्री से मिले, लेकिन एक भी काम करा पाने में नाकाम रहे। सेना भर्ती कराने का इनका दावा भी हवाहवाई साबित हुआ। ऊर्जा के क्षेत्र में इनके द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया। आठ सालों में एक भी पावर हाउस की स्थापना नहीं हुई। अमड़ा पावर हाउस को लेकर हर साल वादे और दावे होते हैं, लेकिन आज तक मौके पर कुछ नहीं हो सका। फायर स्टेशन की स्थापना व अस्पतालों के निर्माण में भी सैयदराजा विधायक का रिकॉर्ड फिसड्डी ही रहा है। कहा कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना में सैयदराजा विधायक का कोई रोल नहीं है। इतना जरूर है कि उन्होंने राजकीय मेडिकल कॉलेज को स्वशासी कराने में अपनी भूमिका निभाई है। इसका श्रेय उन्हें जरूर लेना चाहिए। उन्होंने कर्मनाशा किनारे जाकर भी कुछ सगुफा छोड़ने का काम किया था, लेकिन पटल पर कुछ भी कराने में नाकाम रहे। कहा कि नए सृजनात्मक कार्य कराने में नाकाम रहे सैयदराजा विधायक के क्षेत्र में मौजूद अमड़ा अस्पताल के ध्वस्तीकरण के आदेश की भी चर्चाएं हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। कटाक्ष करते हुए कहा कि इतने अनुभवी विधायक को आठ वर्ष में कम से कम आठ काम तो जरूर करने चाहिए, लेकिन आज भी इतने अनुभवी विधायक को सरकार की योजनाएं गिनाने पड़ रही हैं। क्योंकि जनकल्याण व विकास को लेकर इनका प्रयास लगभग नगण्य रहा है। ऐसे में सैयदराजा की जनता का बदहाल होना स्वाभाविक है। यहां के नौजवान, किसान, बेटियां व आम नागरिकों को अनुभवी विधायक से बड़ी उम्मीदें थीं, जिस पर वह खरा नहीं उतर पाए।

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