Sonbhadra News: डीह बाबा के दरबार में उमड़ी भक्तों की भीड़, 6 हज़ार से ज्यादा श्रद्धांलुओं ने लिया भंडारे का प्रसाद.
Story By: चंदन कुमार, चोपन।
सोनभद्र।
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सोनभद्र के चोपन में भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। श्री राजा लखन वीर बाबा के प्रांगण में हुए पूजा पाठ और भंडारा का अपना अलग ही महत्व है राजा लखन वीर बाबा को नगर और गांव की जनता डीह बाबा के रूप में पूजती है और उनमें आस्था अपनी रखती है।
34 वर्षों से निरंतर डीह बाबा के प्रांगण में भव्य भंडारा का आयोजन निरंतर चलता आ रहा है। तीन दिवसीय कार्यक्रम में नगर और गांव की जनता बड़ी संख्या में सहभाग करती है। 24 घंटे लगातार हरि कीर्तन के बाद मकर संक्रांति के दिन भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें 6000 से ऊपर नगर और गांव की जनता प्रसाद ग्रहण करती है।
डीह बाबा के आशीर्वाद से कभी भी भंडारे में प्रसाद की कमी नहीं हुई और ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी डीह बाबा को मानता है उसकी मुराद पूरी होती है। डीह बाबा में आस्था रखने वाले बलवंत कुशवाहा ने बताया कि मकर संक्रांति पर भव्य भंडारे का आयोजन होता है।
होने वाले भंडारा का विशेष महत्व होता है। ग्राम और नगर की जनता राजा लखन वीर बाबा के प्रांगण में भंडारे का आयोजन मकर संक्रांति पर किया जाता है। 34 वर्षों से लगातार पूजा-पाठ चलता आ रहा है जो अनवरत चलता रहा है।
फौजदार बाबा नामक व्यक्ति ने अपनी अगवाई में इस पूजा की नीव अन्य लोगों के साथ लेकर रखी थी। जन सहयोग से कार्यक्रम को सफल बनाते थे। पहले आबादी कम थी लेकिन इस समय आबादी और भी ज्यादा हो गई है। उस समय जो कार्यकर्ता थे अब वह बुजुर्ग हो गए हैं तो उनके स्थान पर उनके बाल बच्चे पुत्र अब इस पूजा और भंडारे को आगे बढ़ा रहे हैं।
भंडारे की मुख्य विशेषता यह है कि यहां समाज के हर वर्ग के लोग कुछ ना कुछ छोटी-छोटी राशि दान में देते है। जिससे भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है। इसमें किसी भी कमेटी का धन नहीं लगता है। लगातार 45 दिनों तक चंदा काटकर और जनसंपर्क कर सभी को भंडारे में आकर प्रसाद ग्रहण करने का न्यौता दिया जाता है।
चोपन नगर और गांव की 6000 की आबादी के लगभग लोग यहां भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं भंडारे का प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता और बचने पर अगले दिन प्रसाद दोबारा वितरण किया जाता है।
वही भंडारे और पूजा की नीव रखने वाले फौजदार बाबा के पुत्र अमरनाथ ने बताया कि हम सब्जी विक्रेता का काम करते हैं। पिताजी पूजा करने का कार्य करते थे अब उनकी जगह हम पूजा करते हैं।
5 से 6 हज़ार की आबादी भंडारे का प्रसाद ग्रहण करती हैं। तीन दिनों का पूजा पाठ और भंडारे का कार्यक्रम चलता है रात में 24 घंटे का हरिकीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।