Chandauli News: डीडीयू रेल मंडल के गया स्थित सेंट्रल ट्रैक डिपो में सीबीआई का छापा, 7.92 करोड़ रुपए बंदरबांट का मामला.

Story By: संदीप कुमार, बड़े बाबू, डीडीयू नगर।
चंदौली। डीडीयू रेल मंडल में भ्रष्टाचार का मामला खत्म नहीं हो रहा है। डीडीयू और डेहरी आन सोन के बाद अब मंगलवार की सुबह सीबीआई और रेलवे विजिलेंस की संयुक्त टीम ने डीडीयू मंडल के गया स्थित सेंट्रल ट्रैक डिपो में छापा मारा। इस दौरान यहां वरीय सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) और खलासी को सीबीआई अपने साथ ले गई। लगातार पड़ रही छापेमारी से मंडल में हड़कंप मच गया है।

गौरतलब हो कि इसी वर्ष तीन मार्च की रात मुगलसराय नगर के शाहकुटी में एक लॉन में छापा मारकर सीबीआई ने विभागीय पदोन्नति में पैसे के लेन-देन के मामले का खुलासा किया। इस मामले में चार मार्च को दो अधिकारियों, कर्मचारियों और लोको पायलटों को गिरफ्तार किया था। यह मामला अभी चल ही रहा है कि 25 अप्रैल को डेहरी ऑन सोन के सोनगर में छापा मारकर एक एसएसई और तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर सीबीआई पटना ले गई। इस दौरान एक ट्रक चोरी का सामान बरामद हुआ।

इस मामले के एक सप्ताह भी नहीं बीता कि सीबीआई और रेलवे विजिलेंस की संयुक्त टीम ने मंगलवार को डीडीयू मंडल के गया स्टेशन स्थित सेंट्रल ट्रैक डिपो में छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान एसएसई आरडी चौधरी और खलासी पद पर कार्यरत राजेश से पूछताछ के बाद सीबीआई टीम अपने साथ ले गई। रेलवे के जानकार सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की टीम मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे डिपो पर छापा मारी। शाम छह बजे तक पूछताछ करती रही। इसके बाद दोनों को सीबीआई अपने साथ पटना ले गई।

इस डिपो पूर्व मध्य रेलवे के पांचों मंडलों के लिए आवश्यक ट्रैक सामग्रियों की आपूर्ति का केंद्र है। ऐसे में यहां किसी प्रकार की अनियमितता का असर व्यापक स्तर पर हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों डेहरी आन सोन और सोननगर में छापेमारी में चोरी का माल बरामदगी के मामले में डिपो पर छापा मारा गया। बुधवार को इन दोनों को पटना की विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। सुनवाई के बाद सीबीआई के विशेष जज-1 अविनाश कुमार ने दोनों आरोपितों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

आपूर्तिकर्ता फर्म से ली थी 7.92 करोड़ की रिश्वत
गया स्थित आपूर्ति निर्माण विभाग ट्रैक डिपो के स्टोर में विभिन्न निर्माण आपूर्तिकर्ता फर्म रेलवे फिटिंग से संबंधित विभिन्न वस्तुओं और निर्माण सामग्री की आपूर्ति करते हैं। निजी फर्म और आपूर्तिकर्ता जो फिश प्लेट, एनआरसी, नट-बोल्ट, एलसी फिटिंग की डिलीवरी देते हैं, उन्हें आपूर्ति की गई वस्तुओं की पावती रसीद के लिए मोटी कमीशन या फिर रिश्वत देनी होती है।

रेल सूत्रों का कहना है कि सीनियर सेक्शन इंजीनियर राम दास चौधरी के निर्देश पर राजेश कुमार हेल्पर ने 7.92 करोड़ रुपये का कमीशन और रिश्वत विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं व फर्म से प्राप्त किया है। इस बात की पुष्टि हेल्पर ने पूछताछ में भी की। यह राशि नकद या बैंक खातों में प्राप्त की गई थी। राशि का बंटवारा विभिन्न अधिकारियों के बीच किया गया था, जो जांच के बाद इसका खुलासा सीबीआई के द्वारा किया जाएगा।