Sonbhadra News: रोजगार कि मांग को लेकर खदान में घुसे बेरोजगार, पूर्व कर्मचारियों ने कैंप पहुंचकर किया प्रदर्शन.

Story By: उमेश सिंह, शक्तिनगर।
सोनभद्र।
शक्तिनगर क्षेत्र अंतर्गत एनसीएल खड़िया परियोजना में ओबी वार्डेन की कार्य करने आई कार्यदायी संस्था कलिंगा कंसोर्टियम कंपनी में रोजगार की मांग को लेकर वीपीआर कंपनी के पूर्व सैकड़ों संविदाकर्मियों ने कैंप कार्यालय पहुंचकर कार्य को बंद कराकर हल्ला बोल प्रदर्शन किया। सूचना पर पहुंची पुलिस मजदूरों को समझाने बुझाने में जुटी रही। इसके पूर्व यह मजदूर एनसीएल खड़िया परियोजना के महाप्रबंधक को ज्ञापन सौपकर थाने को भी मामले से अवगत करा चुके हैं।

सोमवार को कंपनी के कैंप कार्यालय पहुंचने का प्रयास किया गया, लेकिन सूचना पर पहुंचे शक्तिनगर थाना प्रभारी निरीक्षक कुमूद शेखर सिंह के आश्वासन के बाद बेरोजगार मजदूर वापस लौट गये थे। प्रभारी निरीक्षक कुमूद शेखर सिंह ने कंपनी के लेकिन मंगलवार को कंपनी के जिम्मेदारों के न पहुंचने से मजदूरों में आक्रोश व्याप्त था और गुरुवार को सैकड़ों पूर्व मजदूर कैंप पहुंच गये। इस दौरान मजदूरों ने बताया कि वो सब अधिकारियों का करीब तीन घंटे से ज्यादा समय तक इंतजार करते रहे लेकिन इस दौरान कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिला।

वहीं मजदूरों का आरोप है कि कंपनी में करीब 300 बी फार्म भरवाया जा चुका है जिसे दिखाये जाने की मांग मजदूर द्वारा किया जा रहा है। जिससे यह स्पष्ट हो सके की आखिर किन लोगों को किसके द्वारा नौकरी दिलाया जा रहा है। इस दौरान सूचना पर पहुंची शक्तिनगर पुलिस के काफी समझाने के बाद सभी वापस लौट गये। बता दे कि जब-जब क्षेत्र में कोई भी आउटसोर्सिंग कंपनी आती है तब-तब रोजगार पाने व दिलाने के लिए इस कदर होड़ सी मच जाती है। चाहे पूर्व मजदूर हो सफेदपोश हो जनप्रतिनिधि हो या फिर विस्थापित हो सभी आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार रहते हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि एनसीएल की परियोजनाओं में रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन को मज़दूरों के पक्ष में कभी विरोध प्रदर्शन करते नहीं देखा गया जबकि ट्रेड यूनियन को मजदूर हितैषी के रूप में देखा जाता है। इसके बावजूद यूनियनों का यह रवैया उनके कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। क्षेत्र में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अप्रत्यक्ष तौर पर ओबी कंपनियों के खासमखास बन बैठे हैं और विस्थापितों के हक पर अप्रत्यक्ष रूप से डाका डाल रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनकी अगर ईमानदारी से जांच करवाई गई होती तो दुग्ध का दुग्ध पानी का पानी सामने आ सकता था। उदाहरण के तौर पर एनसीएल खड़िया में ही ओबी कार्य कर रही एसए यादव कंपनी में रोजगार भर्ती के लिए किसे कितना कोटा दिया गया, इसकी एक सूची वायरल हुई थी।

जिसमें ट्रेड यूनियन के नेता, शासन, प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि के रुप में क्षेत्र में जानेने वाले नेताओं के नाम शामिल थे। इसलिए केंद्र सरकार सहित राज्य सरकार के जिम्मेदारों को जिलाधिकारी को मामले को संज्ञान लेकर रोजगार भर्ती की जांच करवाई जानी चाहिए। जिससे विस्थापितों को उनका हक मिल सके, क्योंकि उनके पास अब न तो उनकी सिंचित भूमि है न रोजगार का साधन जिससे वह अपनी रोजी-रोटी चला सके।