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Sonbhadra News: चकबंदी प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग को लेकर लामबंद हुए ग्रामीण, चकबंदी अधिकारी ने जनचौपाल लगाकर सुनी समस्या.

Story By: संगम पांडेय, रॉबर्ट्सगंज।

सोनभद्र।

जिले में बड़े पैमाने पर जमीन की हेरा फेरा करने का मामला सामने आता रहता है। जिसको लेकर अक्सर खूनी संघर्ष भी होता रहता है। इस बार मामला चकबंदी में हेरा फेरी को लेकर सामने आया है। जिसपर गांव वाले मुखर होकर वर्तमान में हुई चकबंदी को निरस्त करने और नई चकबंदी करने की मांग को लेकर शुक्रवार को लामबंद हुए हैं। मामला मझगांव मिश्र गांव से जुड़ा हुआ है।

जहां जनचौपाल पर चकबंदी प्रक्रिया की जांच प्रक्रिया पूरी करने पहुंचे राजस्व की टीम के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा देखने को मिला। राजस्व टीम को ग्रामीणों ने घेर कर अपनी समस्या से अवगत कराया और कहा कि कुछ लोग अपने निजी हित के लिए फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कर चकबंदी की प्रक्रिया पूरी कर ली, जो गलत है। ग्रामीणों की मांग है पुरानी चकबंदी को निरस्त किया जाए।

ग्रामीण धीरज मिश्रा ने बताया कि मझगांव ग्राम में चकबंदी के विरोध में लोग इकट्ठा हुए हैं। गांव के लोगों को पता ही नहीं चल पाया की चकबंदी हो रही है। यहां पर अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है की सारी सूचना पहले से ही हो गई है। आरोप है कि गांव में फर्जी तरीके से दो-चार लोग मिलकर फ़र्ज़ी तरीके से सैकड़ों लोगों का हस्ताक्षर कर दिए। इसका आधार बनाकर अधिकारियों द्वारा चकबंदी प्रक्रिया पूरी कर दी गई। जब अधिकारियों यहां पर चकबंदी करने के लिए आये तो लोग इकट्ठा हो गए।

धीरज मिश्रा ने कहा हमारे गांव में चकबंदी की कोई जरूरत नहीं है। इससे पहले भी जो भी चकबंदी हुई थी। चाहे मसान घाट हो या संस्कृति मंच हो या फिर खेलकूद का मैदान हो। वह आम जनमानस के उपयोग में नहीं आ पाया गांव के कुछ अराजक तत्व द्वारा कब्जा कर लिया गया। हमारा यह कहना है कि जो पहले हुआ है उसको छुड़ाया जाए फिर चकबंदी किया जाए। चकबंदी में आम किसान और कास्तकार की ज्यादा नुकसान हुआ हैं। नुकसान को देखते हुए हम लोग विरोध प्रदर्शन में हैं की चकबंदी ना हो।

मौके पर पहुंचे चकबंदी अधिकारी ने बताया कुछ ग्रामीणों द्वारा शिकायती प्रार्थना पत्र दिया गया था कि चकबंदी ना किया जाए। उसी के संबंध में हम लोग जांच करने आए थे और एक सामान्य जन चौपाल लगाई गई थी। पब्लिक की जो समस्या है उसको भी सुन लिया जाए और साथ में शिकायती प्रार्थना पत्र की जांच भी कर ली जाए। वही जांच हुई है और अन्य कार्य नहीं हुआ है और लोगों का मत जाना गया। उसमें जो नियमानुसार उचित होगा उसको ऊपर प्रेषित किया जाएगा।

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