Sonbhadra News: डायरियां के बढ़ते प्रकोप से हड़कंप, अस्पताल पहुंचने से पहले एक मासूम की कुछ दिनों पहले हुई थी मौत.
Story By: चंदन कुमार, चोपन।
सोनभद्र।
ओबरा तहसील क्षेत्र के कई इलाकों में इस समय डायरिया (Diarrhea) का कहर देखने को मिल रहा है। एक हफ्ते में डायरिया ने ऐसा विकराल रूप लिया की सैकड़ों मरीज बीमार पड़ गए तो वही डायरिया बीमारी की वजह एक मासूम की मौत हो गई है। चोपन सीएचसी सेंटर में रोजाना दर्जनों केस सिर्फ डायरिया के आ रहे है जिसमे महिलाओं और बच्चों की संख्या ज्यादा रहती है।
सीएचसी सेंटर से 25 से 40 किलोमीटर की दूरी से मरीज़ आते है। जिससे अस्पताल पहुंचने में काफी समय लग जाता है। जिस वजह से मरीज़ की स्थिति और ज्यादा ख़राब हो जाती है।सीएचसी सेन्टर के अधीक्षक डॉ फ़ैज़ अहमद ने कहा कि डायरिया के मरीज़ प्रतिदिन अस्पताल में आ रहे है। जिसमे बहुत से अस्पताल में ही ठीक हो जाते है और जो ज्यादा सीरियस होते है उनको जिला अस्पताल बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया जाता है।
इस क्षेत्र में बारिश होने की वजह से हर तरफ बारिश का पानी इक्कठा हो जाता है। कुओं का पानी तक दूषित हो चुका है दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले दूषित पानी पीने को मजबूर है। क्लोरीन ब्लीचिंग पाउडर डालकर पानी को साफ किये जाने की कोशिश जारी है। उसके बावजूद लोग बीमार हो रहे है। खासतौर से डायरिया से पीड़ित मरीज़ 15 से 20 की संख्या में रोजाना भर्ती करके इलाज़ किया जा रहा है।
डायरिया के प्रकोप से बचने के लिए फील्ड में स्वास्थ्य टीम भी भेजी जा रही है। डायरिया से एक बच्चे की भी मौत होने की सूचना मिलने पर अधीक्षक फ़ैज़ अहमद ने बताया कि उस बच्चें का इलाज़ लोकल में किसी क्लीनिक में चल रहा था लेकिन वहां पर हालत खराब होने के बाद एंबुलेंस से चोपन सीएससी बच्चें को लाया गया लेकिन चोपन अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चा मृत हो गया था।
डायरिया के ज्यादातर मरीज़ चोपन सीएससी सेंटर में ही सही हो जा रहे हैं। 1 से 2 परसेंट मरीज को रेफर करने की नौबत आ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि बरसात में किसी भी निकाषि से सीधे पानी पीना ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया का कारण बन रहा है और गंदगी भी एक मुख्य वजह है बीमारी की। पानी को हो सके तो गर्म करने के बाद ठंडा करके पिये।
मरीजों के परिजनों से बात करने पर पता चला कि वो सभी उल्टी दस्त से ज्यादा परेशान है दवा और पानी चढ़ने की वजह से तबियत में सुधार हो रहा है। ग्रामीण मरीजों ने बताया कि वो बरसात के दिनों में पास के ही कुओं या हैंडपंप से पानी को पीने में उपयोग करते है। मरीजों ने बताया कि वो पानी को सीधे पीने में प्रयोग करते है।