Sonbhadra News: उपेक्षा का शिकार हो रहे आदिवासियों ने सौंपा ज्ञापन, पुलिस व वन विभाग पर प्रताड़ित करने का आरोप.
Story By: कन्हैया लाल यादव, रॉबर्ट्सगंज।
सोनभद्र।
कलेक्ट्रेट परिसर में आदिवासी आजादी मोर्चा के बैनर तले दर्जनों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने सरकार की नीतियों से क्षुब्ध होकर प्रदर्शन किया। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आदिवासियों के साथ हो रहे दोहन को लेकर आदिवासियों के एक समूह ने राष्ट्रपति के नामित एक ज्ञापन जिलाधिकारी सोनभद्र को सौंपा। इस दौरान आदिवासियों ने कहा कि कभी हमलोग नक्सली लोगों से प्रभावित थे। अब जंगली पहाड़ी अत्यन्त दुर्गम तथा पिछड़े इलाके में स्थानीय प्रशासन, शासन एवं सरकारी प्राधिकरणों द्वारा उपेक्षित तथा वन विभाग और पुलिस उत्पीड़न से त्रस्त हैं, जो आए दिनों हम आदिवासियों जनजातियों को हमारी गरीबी एवं अशिक्षा का लाभ उठाते हुए भू-माफियाओं तथा सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के उत्पीडन, शोषण व दोहन का शिकार बन चुके है। आदिवासी समाज का दोहन बंद हो और हमारे लिए वनाधिकार कानून के तहत काश्त भूमि का पट्टा दिए जाने की मांग प्रदर्शन के दौरान किया गया।
इस दौरान रामजतन खरवार ने कहा कई पुश्तों से हमलोग खेती करते आये है। लेकिन हमारी जोत कोड से हमे बेदखल किया जा रहा है। इस वजह से हमलोग मुख्यमंत्री को नामित प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी को सौंपने आये है। हम निवेदन करते है कि हमे जोत कोड से बेदखल न किया जाये और वनाधिकार के तहत पट्टा दिया जाये। ग्राम वन समिति के अध्यक्षों द्वारा सर्वे करके फ़ाइल पर सिग्नेचर कराकर पट्टे को फाइनल कर दिया गया है। लेकिन इस फ़ाइल को वन विभाग नहीं मानता हम निवेदन कर रहे है कि मौके पर चलकर हमारे जोत कोड़ को देख कर निरक्षण कर ले अगर हमलोग जायज है तो हमारा अधिकार हमको मिलना चाहिए।
प्रदर्शन के दौरान चंदन ने कहा नगवां ब्लॉक व सोनभद्र के पहाड़ी और जंगलों में आदिवासी वनवासी निवास करते है। शासन द्वारा आदिवासी समाज की अपेक्षा की जाती है। आदिवासियों को खेती करने से वन विभाग व अन्य विभाग बेदखल करने का काम कर रहे है। पैसों वाले लोगों को जंगल में पैसे लेकर बसाने का काम किया जा रहा है जबकि आदिवासियों को भगाने का कार्य किया जा रहा है। हर तरह से शौषण उत्पीड़न से हमलोग परेशान हो गए है। पुलिस विभाग और वन विभाग दोनों हमलोगों को परेशान और उत्पीड़न का कार्य करती है। इसलिए हमलोग जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर आग्रह किया है कि हमारा उत्पीड़न शौषण और दोहन बंद किया जाये। हम वन क्षेत्र में रहते है और हमे वन क्षेत्र के घर बनाने के लड़की से लेकर पत्थर का उपयोग करने का अधिकार मिले। वन क्षेत्र में होने वाली उपज को बेचने का अधिकार मिले । वन क्षेत्र की ज़मीन का मालिकाना अधिकार मिले।