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Chandauli News: अब ऐप के माध्यम से होगी रेल के इंजन की रखवाली.

"डीडीयू मंडल के जनसंपर्क अधिकारी विश्वनाथ ने बताया कि इस अनुकूलित और स्वचालित दृष्टिकोण को लागू करके, गोल लोकोमोटिव लिंक प्रबंधन की दक्षता में सुधार होगा। इससे शेड्यूल या पैरामीटर परिवर्तनों के लिए लिंक प्रतिक्रिया तैयार करने या संशोधित करने में लगने वाला समय महीनों से घटकर मात्र कुछ घंटों में रह जाएगा। इससे रेलवे संचालन को भी सुचारू, न्यूनतम लागत और टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी"

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8:51 PM, Sep 8, 2025

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Chandauli News: अब ऐप के माध्यम से होगी रेल के इंजन की रखवाली.
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ट्रेन की एनिमेटेड फोटो

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Story By: संदीप कुमार, बड़े बाबू, डीडीयू नगर.

चंदौली। रेल के इंजन की रखवाली अब एप के माध्यम से होगी। भारत में पहली बार इस ऐप की शुरुआत पूर्व मध्य रेलवे में की गई है। गोल ऐप पर लोको की वास्तविक स्थिति, जैसे लोकोमोटिव का वर्तमान स्थान, यांत्रिक स्थिति, और रख-रखाव की तिथि इत्यादि की निगरानी बिना किसी त्रुटि के सुगमता से की जा सकेगी। वर्तमान में डीडीयू रेल मंडल के पास लगभग 300 लोको इंजन हैं। इसकी देखभाल की जिम्मेदारी मंडल उठाता है। वहीं, पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर, धनबाद, सोनपुर और समस्तीपुर सहित पांचों मंडलों में 1200 लोको इंजन हैं। लोको शेड में रेलवे की ओर से इंजन की मरम्मत और देखभाल की जाती है। ट्रेनों और मालगाड़ियों के सुचारू संचालन के लिए लोको इंजन की देखभाल महत्वपूर्ण है। अभी तक इंजन की स्थिति, कौन सा इंजन कहां है, और कब इसकी आखिरी बार मरम्मत हुई थी, आदि का रिकॉर्ड हाथों से तैयार किया जाता रहा है। ऐसे में अभिलेख खराब होने या गुम होने का भय रहता है। इसके अलावा, देखभाल में कठिनाई होती रही है। इसके लिए रेलवे के क्रिस द्वारा गोल (जेनरेशन ऑफ ऑप्टिमाइज एंड ऑटोमेटेड लोको लिंक) एप विकसित किया गया है। यह एप्लिकेशन भारतीय रेल में पहली बार पूर्व मध्य रेल में लागू किया गया है। गणितीय मॉडल से उत्पन्न अनुकूलित लोकोमोटिव लिंक के सत्यापन और फ़ीडबैक के लिए प्रदान किया गया है। अनुकूलन मापदंडों के आधार पर अनुकूलित लोकोमोटिव लिंक उत्पन्न करने के लिए एक वेब-आधारित उपयोगकर्ता इंटरफेस भी विकसित किया गया है। डीडीयू मंडल के जनसंपर्क अधिकारी विश्वनाथ ने बताया कि इस अनुकूलित और स्वचालित दृष्टिकोण को लागू करके, गोल लोकोमोटिव लिंक प्रबंधन की दक्षता में सुधार करेगा। इससे शेड्यूल या पैरामीटर परिवर्तनों के लिए लिंक प्रतिक्रिया तैयार करने या संशोधित करने में लगने वाला समय महीनों से घटकर मात्र कुछ घंटों में रह जाएगा। इससे रेलवे संचालन को भी सुचारू, न्यूनतम लागत और टिकाऊ बनाने में मदद मिलेगी।

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