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Chandauli News: अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने श्रीलंका जाएंगे अमूल्य, जनपद, प्रदेश और देश का बढ़ाया मान.

"पीडीडीयू नगर क्षेत्र के फतेहपुर गांव निवासी अमूल्य गुप्ता ने जनपद सहित प्रदेश और देश का मान बढ़ाया है। आगामी 19 से 20 सितम्बर तक श्रीलंका के यूनिवर्सिटी ऑफ श्री जयवर्धनेपुरा में आयोजित 5वें इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस ऑन इन्टैन्ज़िबल कल्चरल हेरिटेज कार्यक्रम में शिरकत करेंगे, लखनऊ यूनिवर्सिटी के शोध छात्र अमूल्य गुप्ता अमूर्त काशी की सांस्कृतिक विरासत, रामनगर की रामलीला पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे"

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7:05 PM, Aug 17, 2025

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Chandauli News: अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने श्रीलंका जाएंगे अमूल्य, जनपद, प्रदेश और देश का बढ़ाया मान.
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शोधकर्ता अमूल्य गुप्ता

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Story By: पूर्वांचल भास्कर डेस्क.

चंदौली। पीडीडीयू नगर तहसील क्षेत्र के ग्राम फतेहपुर निवासी अमूल्य कुमार गुप्ता, पुत्र नंदलाल गुप्ता, ने यह सिद्ध कर दिया है कि छोटे गाँवों से निकलने वाली प्रतिभाएँ भी वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ सकती हैं। सुदूर ग्रामीण परिवेश से निकलकर अब वे जिले, प्रदेश और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन करने जा रहे हैं।

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5वें इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस ऑन इन्टैन्ज़िबल कल्चरल हेरिटेज (ICICH 2025) में प्रतिभाग

अमूल्य का चयन श्रीलंका के यूनिवर्सिटी ऑफ श्री जयवर्धनेपुरा में 19-20 सितम्बर 2025 को आयोजित होने वाले 5वें इंटरनेशनल कॉन्फ़्रेंस ऑन इन्टैन्ज़िबल कल्चरल हेरिटेज (ICICH 2025) में प्रतिभाग हेतु हुआ है। यह प्रतिष्ठित सम्मेलन यूनिवर्सिटी ऑफ श्री जयवर्धनेपुरा के मानवविज्ञान विभाग एवं सार्क कल्चरल सेंटर, श्रीलंका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होगा, जिसमें अनेक देशों के विद्वान, शोधकर्ता और सांस्कृतिक विशेषज्ञ भाग लेंगे। 

काशी की सांस्कृतिक विरासत, रामनगर की रामलीला पर प्रस्तुत करेंगे शोध पत्र 

सम्मेलन में अमूल्य “रामनगर की रामलीला, काशी की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत” विषय पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने बताया कि इस शोध का केंद्रबिंदु काशी (रामनगर) की पारंपरिक रामलीला है, जिसे यूनेस्को ने ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में मान्यता प्रदान की है। यह रामलीला न केवल भारत की सांस्कृतिक अस्मिता की प्रतीक रही है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गरिमा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। 

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लखनऊ विश्वविद्यालय के मध्यकालीन आधुनिक इतिहास विभाग में कर रहे है  शोध 

श्रीलंका की धरती से इस परंपरा की विशेषताओं को वैश्विक समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर मिलना उनके लिए गर्व और सम्मान की बात है। वर्तमान में अमूल्य लखनऊ विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग में प्रो. पवन कुमार यादव के निर्देशन में शोध कार्य कर रहे हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कालिदास शिक्षण संस्थान, रामनगर से हुई, जबकि स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई बीएचयू से की।


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