Chandauli News: सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन के आदेश का नहीं हुआ पालन, दो माह पूर्व जारी हुआ था आदेश, ग्रामीणों में आक्रोश.
"27 नवंबर 2024 को ग्राम सभा भभौरा में खुली बैठक में उचित दर की दुकान का चुनाव कराया गया। इसमें अमरनाथ को 227 वोट मिले, जबकि रिंकू को 75 वोट प्राप्त हुए। लेकिन विभाग ने साजिश के तहत दुकान अमरनाथ के भतीजे पिंकल यादव को आवंटित कर दिया। शिकायतकर्ता ओमप्रकाश का आरोप रहा कि अमरनाथ हिस्ट्रीशीटर हैं। इस कारण विभाग ने दुकान अमरनाथ को न देकर साजिश के तहत उनके भतीजे पिंकल यादव को दे दी"
chandauli
9:01 PM, Aug 24, 2025
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खंड विकास अधिकारी द्वारा जारी आदेश
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Story By: गोविंद कुमार, चकिया तहसील।
चंदौली। चकिया विकासखंड के ग्राम पंचायत भभौरा में उचित दर की दुकान आवंटन में व्यापक पैमाने पर अनियमितता सामने आई है। शिकायतकर्ता ओमप्रकाश के आरोप पर जांच के बाद खंड विकास अधिकारी ने आवंटन प्रक्रिया को निरस्त करते हुए नए आवंटन हेतु प्रक्रिया प्रारंभ करने की संस्तुति की है। आरोप है कि खंड विकास अधिकारी के पत्र के बाद भी दो माह बीत गए, आज तक आपूर्ति निरीक्षक मामले में टालमटोल कर रहे हैं, जिससे गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। बताते चलें कि विभाग ने 27 नवंबर 2024 को ग्राम सभा द्वारा खुली बैठक में उचित दर की दुकान का चुनाव कराया। इसमें अमरनाथ को 227 वोट मिले, जबकि रिंकू को 75 वोट प्राप्त हुए। लेकिन विभाग ने साजिश के तहत दुकान अमरनाथ के भतीजे पिंकल यादव को आवंटित कर दिया। जबकि पिंकल यादव शिकायतकर्ता का आरोप रहा कि अमरनाथ अशिक्षित हैं। उनके खिलाफ हिस्ट्रीशीटर में कई मुकदमे दर्ज हैं। इस कारण उन्हें पुलिस का चरित्र प्रमाण पत्र नहीं मिला। विभाग ने इसलिए दुकान अमरनाथ को न देकर साजिश के तहत उनके भतीजे पिंकल यादव को दे दी। आरोप लगाया गया कि चुनाव अधिकारियों ने रिश्वत ली। फर्जी प्रस्ताव बनाकर ग्रामवासियों के हस्ताक्षर कराए गए। उन्होंने पिंकल यादव का आवंटन रद्द कर नए चुनाव की मांग की। शिकायतकर्ता के आरोप पत्र पर जांच करने के बाद मामला सही पाए जाने पर खंड विकास अधिकारी ने बीते 21 जून को आपूर्ति निरीक्षक को पत्र प्रेषित कर दुकानदार पिंकल यादव का आवंटन रद्द कर नए सिरे से चुनाव कराए जाने के लिए अपने स्तर से कार्रवाई किए जाने की बात कही है। बावजूद दो माह बीत गए, आज तक आपूर्ति निरीक्षक द्वारा नाजायज ढंग से दिए गए पिंकल यादव की दुकान को ना तो निरस्त करने की कार्रवाई की गई और न ही नए सिरे से चुनाव कराए जाने की कार्रवाई की जा रही है। जिससे आपूर्ति निरीक्षक के कार्यों पर सवालिया निशान लग रहा है। देखना है कि उच्चाधिकारी मामले को कब गंभीरता से लेते हैं और गांव में उचित दर की दुकान का आवंटन पारदर्शी तरीके से किया जाता है।
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