Sonbhadra News: DGMS ने खोली खदान की पोल, जांच में माइंस एक्ट का उल्लंघन पाया गया, डेंजर हो चुके प्रतिबंधित क्षेत्र में काम जारी था.
DGMS टीम ने बिल्ली मारकुण्डी क्षेत्र के घटनास्थल का दौरा की और घटना के कारणों की जांच की। खान सुरक्षा उप महानिदेशक नीरज कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि माइंस एक्ट 1952 की धारा 22/3 का उल्लंघन कर खदान का संचालन किया जा रहा था। उन्होंने आगे बताया कि कृष्णा माइंस में दुर्घटना से पहले माइंस एक्ट की धारा 22/3 के तहत प्रतिबंध लगा हुआ था। जांच टीम ने मज़दूरों से भी घटना की बाबत पूछताछ की।
sonbhadra
5:02 PM, Nov 22, 2025
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कृष्णा माइनिंग वर्क्स में 15 नवंबर को हुए हादसे की जांच में पहुंची DGMS टीम।
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Story By: विकास कुमार हलचल, ब्यूरों सोनभद्र।
सोनभद्र।
खनन हादसे में बड़ा अपडेट आया है जांच के लिए गठित भारत सरकार के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ माइंस सेफ्टी (DGMS) टीम ने बिल्ली मारकुण्डी क्षेत्र के घटनास्थल का दौरा की और घटना के कारणों की जांच की। खान सुरक्षा उप महानिदेशक नीरज कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि माइंस एक्ट 1952 की धारा 22/3 का उल्लंघन कर खदान का संचालन किया जा रहा था।
उन्होंने आगे बताया कि कृष्णा माइंस में दुर्घटना से पहले माइंस एक्ट की धारा 22/3 के तहत प्रतिबंध लगा हुआ था। खदान के खतरनाक निचले क्षेत्रों में काम करने की अनुमति नहीं थी।
नीरज कुमार ने मानक से विपरीत संचालित हो रही अन्य खदानों के विषय में कहा कि इस विषय में राज्य सरकारके साथ बैठक की जाएगी। खान सुरक्षा उप महानिदेशक नीरज कुमार के अनुसार जांच में सामने आया है कि सुधार कार्य करने के बजाय, प्रतिबंधित निचले हिस्से में ही काम जारी था।
DGMS यह जांच कर रहा है कि किन परिस्थितियों और मजबूरियों के तहत खदान का संचालन हो रहा था। नीरज कुमार ने बतायाकि जांच आगे बढ़ने पर सभी को अपडेट किया जाएगा। मुख्य दोषियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह अभी जांच का विषय है, लेकिन रिकॉर्ड में दर्ज खदान मालिक को भी दोषी माना जाएगा।
खदान के प्रबंधक और माइनिंग मेट का बयान भी लिया जाना है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी की जानकारी मिली है। DGMS न्यायालय से अनुरोध कर उनके बयान दर्ज कराएगा।
नीरज कुमार ने मानक से विपरीत संचालित हो रही अन्य खदानों के विषय में कहा कि इस विषय में राज्य सरकार के साथ बैठक की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में और भी क्या कानूनी और लीज ग्रांट की प्रक्रिया में किस तरह से खदान को संचालित किया जाए, इस पर विचार किया जाएगा।
यदि मानक से विपरीत परिस्थितियों में खनिज निकालना है तो हमें परिस्थितियों और काम करने की पद्धति में बदलाव लाने की जरूरत है।
जांच टीम ने हादसे के वक़्त खदान में कार्य कर रहे श्रमिकों का भी डिटेल से स्टेटमेंट लिया और वास्तविक स्थित से अवगत हुए, अब मजदूरों के बयान के आधार पर आगे की जांच की जाएगी। बता दे कि कृष्णा माइनिंग में 15 नवंबर को दोपहर करीब 3 बजे एक गंभीर दुर्घटना हुई, जिसमें सात श्रमिकों की मौत हो गई।
बचाव और राहत कार्य दो दिनों तक चला, जिसके बाद सभी शवों को निकाला जा सका। भारत सरकार के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ माइंस सेफ्टी (DGMS) नेघटना के कारणों की जांच के लिए एक टीम गठित की है।
