Sonbhadra News: बीसीएस इंटरप्राइजेज खदान में भारी अनियमितता, प्रतिबंधित नावों का पानी निकालने के लिए किया जा रहा प्रयोग.
बिल्ली मारकुण्डी स्थित बीसीएस इंटरप्राइजेज खदान 200 फीट से अधिक गहरी है और पूरी तरह पानी से लबालब भरी हुई है। इस पानी को बड़ी-बड़ी नावों पर मोटर लगाकर खेतों में निकाला जा रहा है, जिससे पिछले पांच सालों से उनकी फसलें चौपट हो रही हैं। डेढ़ बीघे की खेती को नुकसान हो रहा है। खदान से निकलने वाले पानी में बच्चे नहाते हैं, जिससे कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है।
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6:02 PM, Oct 13, 2025
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प्रतिबंधित नावों का खदान में धरल्ले से हो रहा प्रयोग।
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Story By: विकास कुमार हलचल, ब्यूरो सोनभद्र।
सोनभद्र।
ओबरा तहसील के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में स्थित बीसीएस इंटरप्राइजेज खदान में होने वाली हैवी ब्लास्टिंग और खेतों में जलभराव से स्थानीय कोठा टोला के ग्रामीण प्रतिदिन गंभीर समस्याओं का सामना करने से दहशत में रहते है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ब्लास्टिंग के दौरान पत्थर उनके घरों तक आते हैं, जिससे बच्चों और पालतू पशुओं को चोट लगने का खतरा बना रहता है।
कई बार लोग घायल हुए हैं और उनके घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि खदान संचालक मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे उनके कच्चे मकानों में दरारें आ रही हैं। खदान 200 फीट से अधिक गहरी है और पूरी तरह पानी से लबालब भरी हुई है।
इस पानी को बड़ी-बड़ी नावों पर मोटर लगाकर खेतों में निकाला जा रहा है, जिससे पिछले पांच सालों से उनकी फसलें चौपट हो रही हैं। डेढ़ बीघे की खेती को नुकसान हो रहा है। खादानों से लगातार पानी आने से बच्चें उसमे नहाते है जिस जगह बच्चें नहाते है उसके बगल में मानक के विपरीत खनन होने से अत्यधिक गहरी खदानों में गिरने का डर बना रहता है। जिससे बच्चों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।
स्थानीय निवासी बाबा लाल ने बताया कि खदान में होने वाली ब्लास्टिंग के कारण उनके कच्चे मकानों में दरारें पड़ गई हैं और छत के लिए रखी गई सीटें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा कि एक-दो बार तो दीवारें भी गिर चुकी हैं।
वीरेंद्र सिंह ने बताया कि ब्लास्टिंग की आवाज और कंपन इतना तेज होता है कि पूरी बस्ती के घर हिल जाते हैं, जिससे हमेशा दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों के अनुसार, खदान का संचालन मानकों के विपरीत किया जा रहा है।
खदान 200 फीट से अधिक गहरी है और पूरी तरह पानी से लबालब भरी हुई है। इस पानी को बड़ी-बड़ी नावों पर मोटर लगाकर खेतों में निकाला जा रहा है, जिससे पिछले पांच सालों से उनकी फसलें चौपट हो रही हैं। डेढ़ बीघे की खेती को नुकसान हो रहा है।
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ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है। क्षतिपूर्ति मांगने पर उनसे खेत ऊंचा करने की बात कही जाती है। डाला चौकी में शिकायत दर्ज कराई गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे आलाधिकारियों सहित सूबे के मुखिया तक शिकायत करेंगे।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि खदान से निकलने वाले पानी में बच्चे नहाते हैं, जिससे कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। जहां बच्चे नहा रहे हैं, उसके बगल में बहुत गहरी खदानें हैं। खदान में न तो फेंसिंग तार लगाया गया है और न ही कोई अन्य घेराव के उपाय किए गए हैं। यह खदान पूरी तरह से खुली हुई है। बीते शनिवार को भी ब्लास्टिंग हुई थी, जिसके दौरान ग्रामीणों को बच्चों को लेकर छिपने की जगह भी नहीं मिलती।
रीता नामक एक निवासी ने बताया कि खदान से संबंधित कोई भी व्यक्ति क्षतिपूर्ति देने नहीं आता है। कई परिवारों को चुप रहने के लिए मात्र एक हजार रुपये दिए जाते हैं।
स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें चोरी का आरोप लगाकर काम नहीं दिया जा रहा है, जबकि बाहरी लोगों को काम पर रखा जा रहा है। निवासियों की मांग है कि खदान से निकलने वाले पानी से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, इसलिए इस पानी को गांव में आने से तुरंत रोका जाए।
कृष्ण मुरारी ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि खदान के पास होने से लगातार कंप्रेसर की आवाज और वाहनों की आवाजाही से उनकी नींद खराब होती है। ब्लास्टिंग के बाद पत्थर घरों तक आ जाते हैं और क्षतिपूर्ति मांगने पर टालमटोल किया जाता है। उन्होंने बताया कि गांव में ब्लास्टिंग होने से पहले कोई सूचना नहीं दी जाती, केवल सीटी की आवाज से लोग सतर्क होते हैं।
बच्चे अक्सर घर के बाहर खेलते रहते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है। स्थानीय लोगों ने खदान मालिक सफीक अहमद से कई बार शिकायत की है, लेकिन उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया है।
