Sonbhadra News: कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी मामले में एक गिरफ्तार, सोनभद्र में 6 करोड़ की फर्जी बिलिंग, मुख्य आरोपी पकड़ा गया.
पुलिस ने कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी के मामले में एक और मुख्य आरोपी 10 हज़ार रुपये के इनामिया सत्यम कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी एसओजी और एसआईटी टीम द्वारा की गई। सत्यम कुमार गुप्ता मां कृपा मेडिकल के प्रोपराइटर हैं, जो सोनभद्र में संचालित दो फर्जी फर्मों में से एक है।
sonbhadra
5:58 PM, Dec 17, 2025
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अभियुक्त फर्जी दस्तावेजों के आधार पर “मां कृपा मेडिकल” के नाम पर करता था हेरफर।
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Story By: विकास कुमार हलचल, ब्यूरों सोनभद्र।
सोनभद्र।
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पुलिस ने कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी के मामले में एक और मुख्य आरोपी 10 हज़ार रुपये के इनामिया सत्यम कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी एसओजी और एसआईटी टीम द्वारा की गई। सत्यम कुमार गुप्ता मां कृपा मेडिकल के प्रोपराइटर हैं, जो सोनभद्र में संचालित दो फर्जी फर्मों में से एक है। एसपी सोनभद्र ने बताया कि सोनभद्र समेत अन्य जिलों में कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी को लेकर कई मुकदमे दर्ज हैं। इसी क्रम में सोनभद्र में भी ड्रग इंस्पेक्टर ने एक मामला दर्ज कराया था। इस मामले में पहले मुख्य अभियुक्त भोला जायसवाल को 30 नवंबर को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। विवेचना के दौरान सामने आया कि जनपद सोनभद्र में मां कृपा मेडिकल और सीविक्षा फार्मा नाम से दो फर्जी फर्मे बनाई गई थीं। इन फर्मों के माध्यम से एक साल में लगभग 6 करोड़ रुपये मूल्य की कफ सिरप की खेप आने के फर्जी बिल दिखाए गए थे। जांच में पता चला कि ये फर्मे पूरी तरह से फर्जी थीं और इनका कोई दुकान संचालक नहीं था। इन फर्जी फर्मों के खातों से लगभग 6 करोड़ रुपये का लेनदेन शैली ट्रेडर्स के खाते में किया गया था। शैली ट्रेडर्स भोला जायसवाल और शुभम जायसवाल की फर्म है। जांच में सत्यम कुमार गुप्ता का नाम सामने आया, जो मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं। सत्यम कुमार गुप्ता और उनके भाई ने मिलकर रॉबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के बरकरा गांव में मां कृपा और सीविक्षा फार्मा नाम की ये दो फर्जी फर्मे खोली थीं। इन दुकानों पर अलग-अलग तारीखों में 6 करोड़ रुपये की कफ सिरप आने के फर्जी बिल बनाए गए थे। इन फर्जी बिलों को आयुष एंटरप्राइजेज, सनाया मेडिकल और दिलीप मेडिकल जैसे तीन अलग-अलग प्रतिष्ठानों के नाम पर काटा गया था, जो जनपद भदोही में स्थित हैं। पूरे लेनदेन की जांच में यह पाया गया कि ये फर्मे पूरी तरह से फर्जी थीं और इनके खातों में आने वाला पैसा भी फर्जी स्रोतों से था। गिरफ्तार सत्यम कुमार ने पूछताछ में बताया कि उसने अपने भाई और भदोही निवासी रवि गुप्ता के साथ मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया। रवि गुप्ता ने उन्हें 'मां सीविक्षा फार्मा' नाम की एक फर्जी फर्म खुलवाई थी। सत्यम का भाई और रवि गुप्ता दोनों इस मामले में वांछित हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है। रवि गुप्ता ने सत्यम को बताया था कि उन्हें केवल फर्म खोलकर बिल काटने हैं, जबकि सामान कहीं और भेजा जाएगा। सत्यम को प्रति बोतल लगभग 1 रुपये का कमीशन मिलना था। दवाइयां दुकान पर नहीं आती थीं; खरीद और बिक्री सिर्फ कागजों पर होती थी। जांच में 6 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला है, जो 'शैली ट्रेडर्स' के खाते में गए। यह सारा पैसा शुभम जायसवाल और भोला जायसवाल की फर्मों में ट्रांसफर किया जाता था। वास्तव में, इन दुकानों पर कोई वास्तविक खरीद-बिक्री नहीं होती थी। भोला जायसवाल को रांची में पीसीआर पर ले जाने के दौरान कई ई-वे बिल और 'मां कामाख्या ट्रांसपोर्ट कंपनी' के नाम सामने आए। माना जा रहा है कि इस कंपनी के माध्यम से अवैध परिवहन का काम किया जाता था। एसआईटी टीम इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है और वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
