मुख्य खबरें/न्यूज़/sonbhadra news serious questions on the role of directorate general of mine safety in the mining sector nirbhay chaudhary working in the field of nature conservation complained

Sonbhadra News: खनन क्षेत्र में खान सुरक्षा महानिदेशालय की भूमिका पर गंभीर सवाल, प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत निर्भय चौधरी ने की शिकायत.

सोनभद्र जिले के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में मानक से अधिक विस्फोटक के उपयोग की शिकायतें सामने आई हैं। आरोप है कि अत्यधिक ब्लास्टिंग के कारण धरती हिल रही है और प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह मुद्दा 15 नवंबर को कृष्णा माइनिंग में हुए एक हादसे के बाद और गहरा गया है, जिसमें सात मजदूरों की मौत हो गई थी।

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2:35 PM, Dec 1, 2025

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Sonbhadra News: खनन क्षेत्र में खान सुरक्षा महानिदेशालय की भूमिका पर गंभीर सवाल, प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत निर्भय चौधरी ने की शिकायत.
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नियमों का पालन नहीं करने से खदानें 'मौत का कुआँ' बनी- निर्भय चौधरी।

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Story By: विकास कुमार हलचल, ब्यूरों सोनभद्र।

सोनभद्र।

जिले में अवैध खनन और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन को लेकर खान सुरक्षा महानिदेशालय (DGMS) की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं। आरोप है कि डीजीएमएस अधिकारी मानकों के विपरीत हो रहे खनन पर कार्रवाई करने के बजाय अनदेखी करते हैं, जिसके कारण खदानों में लगातार हादसे हो रहे हैं। हाल ही में बिल्ली मारकुंडी स्थित कृष्णा माइनिंग में हुए एक दुखद हादसे में सात मजदूरों की मौत हो गई थी, जिसने पूरे जिले और उत्तर प्रदेश को झकझोर दिया था।

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प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत निर्भय चौधरी ने श्री मंगला प्रसाद so श्री लाल जी व अन्य बिल्ली मरकुंडी समेत 4-5 खदानों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और जांच की मांग की है। निर्भय चौधरी ने बताया डीजीएमएस के नियमों के अनुसार, केवल माइनिंग मेट, माइनिंग मैनेजर और ब्लास्टर को ही ब्लास्टिंग का सामान देने की अनुमति है। जब भी डीजीएमएस की टीम जांच के लिए आती है, तो इन्हीं लोगों के कागजात की जांच की जाती है।

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हालांकि, शिकायतकर्ता निर्भय चौधरी ने डीजीएमएस से सवाल किया है कि जिन खदानों पर 22/3 का प्रतिबंध लगा हुआ है, वे आखिर कैसे संचालित हो रही हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसी खदानों में कार्य तुरंत रोक दिया जाना चाहिए और विस्फोटक सप्लायरों की भी जांच कर मामले में संलिप्त लोगो के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

चौधरी ने बताया कि क्षेत्र में लगभग 60% खदानें खतरे की श्रेणी में हैं। बिल्ली मारकुंडी और डाला खनन क्षेत्रों में खदान संचालक बेंच बनाने के नियमों का पालन नहीं करते हैं, जिससे खदानें 'मौत के कुएं' बन गई हैं। उनका कहना है कि जिन छोटी खदानों में बेंच बनाना संभव नहीं है, उन्हें पट्टा ही नहीं दिया जाना चाहिए। डीजीएमएस की जांच पर अविश्वास व्यक्त करते हुए, चौधरी ने आरोप लगाया कि अधिकारी आते हैं और निरीक्षण करते हैं, लेकिन इसके बावजूद श्री स्टोन नामक खदान 22/3 का प्रतिबंध लगने के बाद भी संचालित होती रही।

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प्रतिबंध के 10 दिन बाद उसी खदान में एक मजदूर की मौत गिरने से हो गईं और मिलीभगत से टिप्पर से धक्का लगने से मौत होने की बात कही गई, जिसे कथित तौर पर दबा दिया गया। कुछ महीने बाद, श्री स्टोन के ठीक बगल में स्थित कृष्णा माइनिंग में बड़ा हादसा हुआ, जिसमें सात मजदूरों की जान चली गई। निर्भय चौधरी का आरोप है कि खदानों में तय मानक से कई गुना अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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जहां प्रति खदान 50 से 100 किलोग्राम विस्फोटक की अनुमति है, वहीं 500 किलोग्राम तक विस्फोटक का उपयोग किया जा रहा है। इस अत्यधिक उपयोग से न केवल खदानों के आसपास का क्षेत्र दहल जाता है, बल्कि पर्यावरण भी गंभीर रूप से प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि खनन क्षेत्र में जाना भी मुश्किल हो गया है, जिससे ग्रामीणों के फेफड़ों में समस्याएँ आने लगी हैं।

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इसके अतिरिक्त, खान सुरक्षा सप्ताह का आयोजन अक्सर लग्जरी होटलों में किया जाता है, जबकि इसे खनन स्थलों पर आयोजित किया जाना चाहिए ताकि मजदूरों और संबंधित कर्मचारियों को सुरक्षा नियमों की सीधी जानकारी मिल सके। रॉबर्ट्सगंज में हुए ऐसे ही एक आयोजन का खर्च क्रेशर एसोसिएशन ने उठाया था।


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