Sonbhadra News: 2007 में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए नक्सली को भी पुलिस ने भेज दिया सम्मन.
मृत व्यक्ति के नाम से पीड़ित को समन भेजनें से पुलिस महकमे की किरकिरी हो रही। दरअसल मृत व्यक्ति को 2007 में मुठभेड़ में पुलिस ने नक्सली बता कर मार गिराया था। पुलिस ने मामले को बस एक त्रुटि बता दी। हालांकि सम्बंधित उप निरीक्षक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की बाद पुलिस प्रशासन की तरफ से कही जा रही है।
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2:14 PM, Aug 21, 2025
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मृतक की फ़ाइल फ़ोटो।
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Story By: विकास कुमार हलचल, ब्यूरों सोनभद्र।
सोनभद्र। जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आने से चर्चाओ का बाज़ार गर्म है। पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को कोर्ट में पेश होने का नोटिस भेज दिया, जिसकी मृत्यु कई सालों पहले ही हो चुकी है। सुनील उर्फ संजय कोल 30 को हार्डकोर इनामी नक्सली बताकर चंदौली पुलिस ने हथियानी पुलिया के पास अप्रैल 2007 में एनकाउंटर कर दिया था। लेकिन अब पत्नी को उनके मृत पति के नाम पर शांति भंग, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी के आरोप में समन आया है। समन मिलने से मृतक की परेशान पत्नी न्यायलय की शरण में आई है।

मुठभेड़ में मारे गए नक्सली की घटना के समय की फ़ाइल फ़ोटो।
हालांकि अभी भी एसडीएम कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। हैरान कर देने वाला मामला सुनते ही लोग पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये है। वही मामले का तूल पकड़ते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और त्वरित कार्रवाई करते हुए सम्बंधित दरोगा पर कार्रवाई की बात कही है। समन मिलने से परेशान पीड़िता सुषमा देवी ने बताया कि उनके पति को नक्सली बताकर झूठी मुठभेड़ में मार दिया गया था। अब उनके पति के नाम शांति भंग, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी के आरोप में सम्मन आया। जिस दिन समन आया, वह अपनी बेटी के साथ अस्पताल में थीं।

पीड़िता ने बताया कि वह 13 साल जेल में बिना किसी अपराध के रही हैं। जेल से बरी होने के बाद शांति से जीवन जी रही हैं। माइक्रो फाइनेंस कंपनी से लिए गए लोन को लेकर भी परेशानी झेल रही हैं। 25 मई को कंपनी के कर्मचारी नशे में उनके घर आए और बदसलूकी की। एक और गंभीर घटना में 22 जून को रात 8:30 बजे कंपनी के लोगों ने उनके देवर के साथ मारपीट की और उन्हें घायल कर दिया। सुषमा और उनकी बेटी के कपड़े भी फाड़ दिए गए। घायल देवर को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

वही मृतक के पिता दशरथ ने बताया उनके बेटे सुनील को 2004 में नक्सली बताकर मार दिया गया था, लेकिन अब उसके नाम भी समन भेजा जा रहा है। दशरथ का कहना है कि यह सब एक पड़ोसी से रास्ते के विवाद के कारण हो रहा है। दोनों मामलों में पीड़ित परिवार पुलिस से मदद की गुहार लगा रहे हैं। पूरे मामले को देख रहे पिपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य वकील विकास शाक्य ने बताया कि अभी तक एसडीएम कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। मामला मधुपुर का है जहां सुनील उर्फ संजय कोल नाम के व्यक्ति को पुलिस ने हार्ड कोर नक्सली बताते हुए 2007 में मुठभेड़ में मार दिया था।
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उनकी पत्नी सुषमा 13 साल तक विभिन्न मामलों में जेल में रहीं और बाद में बरी हो गईं। हाल ही में एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी के नशे में धुत कर्मचारियों ने सुषमा के घर में घुसकर बदसलूकी की। विरोध करने पर पुलिस की मदद से उनके खिलाफ माहौल बनाया गया। मौके का स्थलीय निरिक्षण की बात कहकर पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट रॉबर्ट्सगंज को रिपोर्ट भेजी।

उप जिला मजिस्ट्रेट ने मृतक सुनील को कोर्ट में पेश होने का नोटिस जारी कर दिया। नोटिस मिलने से परिवार परेशान है। वकील विकास साक्य ने कहा पुलिस का यह कृत्य घिनौना है। उत्तर प्रदेश में जो कानून का राज होना चाहिए जो संवैधानिक दायित्व हैं पुलिस उस दायित्व से भाग रही है और यह शुद्ध रूप से पूंजीपति सामंतियों का एक लखेत बंद करके पुलिस काम कर रही है। कानून से पुलिस का कोई मतलब नहीं है इसका सीधा उदाहरण आपके सामने ही है।

अनिल कुमार अपर पुलिस अधीक्षक सोनभद्र
वहीं अपर पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने बताया कि मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह खबर प्रसारित की जा रही है कि राबर्ट्सगंज पुलिस द्वारा सुनील पुत्र दशरथ निवासी मधुपुर के विरुद्ध 126 135 बीएनएसएस के तहत नोटिस भेजी गई है। अनिल के स्थान पर त्रुटिवस सुनील का नाम 126 135 BNSS के तहत कार्रवाई करने के लिए रिपोर्ट प्रेषित हो गई है और त्रुटि करने वाले उप निरीक्षक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जा रही है।