Sonbhadra News: सिस्टम की खामी ने हमेशा के लिए बुझा दिया घर का इकलौता चिराग, परिजनों पर टुटा दुःखो का पहाड़.
भारत अस्पताल के नाम से प्राइवेट अस्पताल में मात्र पेट के दर्द में भर्ती होने गए 13 वर्षीय चिराग वेदांत पाठक को गलत इंजेक्शन लगा दिया गया, जिससे उसकी जान चली गईं। घर के इकलौता चिराग की डॉक्टर की गलती से गईं जान से परिजनों में कोहराम मच गया।
sonbhadra
5:27 PM, Aug 6, 2025
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गलत इंजेक्शन लगाने से हुई मौत के. बाद अस्पताल पर हंगामा
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Story By: राजन जायसवाल, ब्यूरों सोनभद्र।
सोनभद्र।
कोन थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत मिश्री के टोला डोमा में उस वक्त मातम छा गया जब 13 वर्षीय घर का इकलौता चिराग वेदांत पाठक महज एक इंजेक्शन की लापरवाही से हमेशा के लिए बुझ गया। बताया जा रहा है कि बुधवार भोर में पेट दर्द की शिकायत पर परिजन उसे कोन के एक भारत हॉस्पिटल नामक निजी अस्पताल ले गए थे, जहां बिना किसी डॉक्टर की मौजूदगी में एक कर्मचारी ने इंजेक्शन लगा दिया। कुछ ही घंटों में बालक की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।

परिजनों ने बताया वेदांत बुधवार की भोर लगभग 3 बजे पेट दर्द से तड़प उठा। पिता रांची में कैंसर का इलाज करा रहे हैं, ऐसे में मां व पड़ोसियों ने मिलकर उसे सुबह 5 बजे भारत हॉस्पिटल कोन पहुंचाया। अस्पताल में न डॉक्टर था न कोई विशेषज्ञ। वहां तैनात एक कर्मचारी ने बिना जांच के उसे एक सुई और दो दवाएं देकर कहा कि अब वह ठीक है और घर भेज दिया गया। वही परिजनो का आरोप है कि जैसे ही परिजन वेदांत को लेकर घर पहुंचे, उसकी हालत और बिगड़ने लगी। दोबारा अस्पताल पहुंचे तो उसी कर्मचारी ने देखने से इनकार कर दिया। हड़बड़ी में परिजन उसे दूसरे निजी अस्पतालों में ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस सूचना से परिवार पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा।

गुस्साए परिजनों ने वेदांत के शव को लेकर भारत हॉस्पिटल में धरना शुरू कर दिया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में ग्रामीण भी पहुंच गए और अस्पताल परिसर में जबरदस्त हंगामा शुरु हो गया। परिजन मुआवजे व इंजेक्शन देने वाले की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे। अस्पताल संचालक को पकड़ कर लोगों ने वहीं बैठा लिया।

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इस घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम विवेक सिंह, सीओ ओबरा हर्ष पाण्डेय और थाना प्रभारी कोन मौके पर पहुंचे। पुलिस ने अस्पताल संचालक और इंजेक्शन देने वाले कर्मचारी को हिरासत में ले लिया। सीएमओ के निर्देश पर वहां भर्ती दो अन्य महिलाओं, जिनका बच्चेदानी का ऑपरेशन चल रहा था, उन्हें दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। तत्काल प्रभाव से अस्पताल को सील कर दिया गया है। बता दे कि मृतक वेदांत तीन बहनों में सबसे छोटा था और परिवार का इकलौता पुत्र था।

पिता कैंसर से पीड़ित हैं, पूरा परिवार सदमे में है। घर पर मातम पसरा हुआ है और पूरे गांव में शोक की लहर है। घटना की जानकारी मिलते ही कोन थाना पुलिस मौके पर पहुँच गई और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के आश्वासन देते हुए परिजनों को समझा-बुझाकर शव को कब्जे में लेकर पीएम के लिए सीएचसी दुद्धी भेज दिया। वहीं जानकरी पाकर मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के एसीएमओ डॉ० कीर्ति आजाद बिंद ने हॉस्पिटल को तत्काल सीज कर वहां भर्ती मरीजों को सरकारी हॉस्पिटलों में शिफ्ट करा दिया।

पूरे मामले पर सीएमओ डॉ० अश्वनी कुमार ने बताया कि भारत हॉस्पिटल अवैध तरीके से संचालित हो रहा था, जिसे तत्काल सीज कर दिया गया है और वहां भर्ती अन्य मरीजों को एम्बुलेंस के माध्यम से सीएचसी चोपन भेजवा दिया गया है। क्षेत्र में अन्य अवैध हॉस्पिटलों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए नोडल अधिकारी को निर्देशित किया गया है।

वेदांत की मौत ने एक बार फिर बिना लाइसेंस चल रहे अस्पतालों के संचालन को लेकर उंगली उठनी शुरु हो गईं है। जिले में बिना रजिस्ट्रेशन और बिना डॉक्टर के चल रहे निजी अस्पतालों की पोल खुलने के बाद भी अवैध संचालन बेख़ौफ़ से चल रहे है। ग्रामीणों का आरोप है कि ऐसे अस्पताल वर्षों से चल रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार आंख मुंदे बैठे हैं। यह घटना सिर्फ एक मासूम की मौत नहीं है, यह सिस्टम की उस खामी की कहानी है जहां इलाज के नाम पर लापरवाही मौत का कारण बन जाती है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस घटना को कैसे गंभीरता से लेता है और ऐसे अस्पतालों पर कब शिकंजा कसा जाएगा बड़ा सवाल है।