Sonbhadra News: पुरखो द्वारा परम्परा को जारी रखा गया, कार्तिक मास में सोमवार को सेकड़ों लोगों ने आंवले के पेड़ के नीचे किया भोजन.
ओबरा के प्रसिद्ध सेक्टर-03 भूतेश्वर महादेव दरबार में कार्तिक मास के तेरस को सोमवार को सेकड़ों लोगों ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन किया। पेड़ के पास में ही भोजन बनाकर लोगों ने पुण्य प्रसाद को प्राप्त किया।
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8:53 PM, Nov 3, 2025
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आंवला (धात्री) के वृक्ष की छाया में पूजा-अर्चना के साथ ही ब्राह्मण भोजन धार्मिक एवं स्वास्थ्यप्रद है।
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Story By: विकास कुमार हलचल, ब्यूरों सोनभद्र।
सोनभद्र।
कार्तिक मास के तेरस को सोमवार को सेकड़ों लोगों ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन किया। पेड़ के पास में ही भोजन बनाकर लोगों ने पुण्य प्रसाद को प्राप्त किया। मासों में उत्तम माना जाने वाला कार्तिक मुख्य रूप सनातन धर्मावलंबियों के पर्व मास के नाम से जाना जाता है। हमारे पूर्वजों द्वारा इस मास में विशेष पूजा-अर्चना की परंपरा बनाई गई है।
इन परंपराओं में पूजा-अर्चना के साथ पुण्य प्रसाद भोजन की परंपरा को इसी पूजा-अर्चना का महत्वपूर्ण अंग माना गया है। वृक्ष की छाया, इसके पत्ते तथा इसका फल अमृत समान माना गया है। इस वृक्ष की छाया में कार्तिक मास में पूजन एवं ब्राह्मण भोजन को इसी उद्देश्य से महत्वपूर्ण बताया गया है। शास्त्रों में वर्णित एवं लाभकारी यह कर्म हमारे सनातनियों की परंपरा रही है।
आवले के पेड़ के नीचे भोजन करने आये केसरी परिवार के सदस्यों ने कहा हमारे पूर्वजों ने हमेशा कार्तिक मास में आवले के पेड़ के नीचे भोजन करते आये है उसी परम्परा को हम परिजन निभा रहे है और आगे भी निभाते रहेंगे। कन्हैया केसरी ने बताया उनके पूर्वजों द्वारा बताया गया था कि वृक्ष के स्पर्श करने से दूना और फल सेवन करने से तिनगुना फल प्राप्त होता है।
बताया गया है कि कार्तिक मास में आंवला (धात्री) के वृक्ष की छाया में पूजा-अर्चना के साथ ही ब्राह्मण भोजन धार्मिक एवं स्वास्थ्यप्रद है। इन्हीं परंपराओं को जीवंत रखते हुए उनका परिवार कॉलोनी के अन्य परिवारोंको लेकर प्रसिद्ध सेक्टर-03 भूतेश्वर महादेव दरबार स्थित आवला वृक्ष के तले लोगों ने ब्राह्मण भोजन कराया।
वृक्ष की छाया में कार्तिक मास में पूजन एवं ब्राह्मण भोजन को इसी उद्देश्य से महत्वपूर्ण बताया गया है। शास्त्रों में वर्णित एवं लाभकारी यह कर्म हमारे सनातनियों की परंपरा रही है। गांवों में आवाले वृक्ष के नीचे कार्तिक मास में दीप दान देने की परंपरा अभी चली आ रही है। इस दौरान काशी प्रसाद केशरी, मातेश्वर प्रसाद केशरी, अर्जुन सिंह, जेपी सिंह, लवकुश केशरी, राज कुमार केशरी और केसरी परिवार के साथ अन्य परिवार मौजूद रहे।
