Sonbhadra News: बसों में मुफ्त यात्रा करेंगी महिलाएं, एक सहयात्री का टिकट भी माफ, अत्यधिक भीड़ बनी परेशानी की वजह.
सरकार ने रक्षाबंधन के अवसर पर बहन-बेटियों को मुफ्त बस यात्रा की सौगात दी है। जो 8 अगस्त से 10 अगस्त तक उपलब्ध है, लेकिन बसों में यात्रियों की अत्यधिक भीड़ परेशानी की भी वजह बन रही है।
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3:55 PM, Aug 8, 2025
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भीड़ की वजह से गेट पर सामान लेकर यात्रा करती महिलाएं।
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Story By: चंदन कुमार, चोपन।
सोनभद्र।
यूपी सरकार ने रक्षाबंधन के अवसर पर बहन-बेटियों को मुफ्त बस यात्रा की सौगात दी है। यह सुविधा 8 अगस्त से 10 अगस्त तक उपलब्ध है, जिससे बहन-बेटियां बिना किसी आर्थिक बोझ के अपने भाइयों से मिलने जा सकें। इसके साथ ही प्रत्येक महिला के साथ आने वाले एक सहयात्री को भी बिना टिकट यात्रा की छूट दी गई है, यह सुविधा रोडवेज व नगरीय बस सेवा की बसों में मिलेगी। हालांकि इस सुविधा का लाभ उठाने वाली महिलाओं की संख्या अधिक होने के कारण, बसों में काफी भीड़ देखी जा रही है।

रोडवेज बसों के आते ही दौड़ते नज़र आ रहे यात्री।
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फ्री बस सेवा के कारण, बसों में बहुत ज्यादा भीड़ होने से यात्रियों को परेशानी भी उठानी पड़ रही है। सोनभद्र में तो भीड़भाड़ के कारण, यात्रियों को ठीक से बैठने या खड़े होने में भी मुश्किल हो रही है। कई महिलाएं तो बस की गेट पर लगेज लेकर खड़ी दिखी, साथ ही यात्रियों में सुरक्षा को लेकर भी चिंता है। मसलन सामान कही है और यात्री बस में सामान से दूर दूसरी जगह खड़े है। ऐसे में बार बार यात्री अपनी सामान की और टकटकी लगाए देख रहे हैं। ऐसे में हो रही लगातार बारिश में यात्रियों को बस स्टैंड पर खड़े होने में दिक्क़त हो रही है। पानी से बचने के लिए यात्री सुरक्षित स्थान खोजने में लगे दिखे। इस वजह से यात्रियों की बस छूट जा रही है। यात्रियों ने कहा कि त्यौहार सीजन में घरों की और रुख करने की होड़ रहती है।

जिससे भीड़ होती है और फ्री बस सेवा से भीड़ बहुत ज्यादा हो गईं है ऐसे में सरकार को अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि भीड़भाड़ को कुछ हद तक कम किया जा सके। बता दे कि यह पहल पहल 2017 में शुरू हुई थी, जब रक्षाबंधन पर बहनों को आर्थिक बोझ से मुक्त रखते हुए अपने घर या भाइयों के पास पहुंचने का अवसर देने के लिए सरकार ने रोडवेज में मुफ्त सफर का ऐलान किया था। आकंड़ों बताते है कि आठ साल में इस योजना के तहत 1.23 करोड़ से अधिक महिलाएं लाभ ले चुकी हैं और परिवहन निगम ने टिकटों के रूप में 101 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च खुद वहन किया।