
Story By: संदीप कुमार, बड़ा बाबू।
चंदौली। हावड़ा दिल्ली रूट पर अति व्यस्त डीडीयू स्टेशन पर पेयजल बूथों का पानी पीने योग्य है। शुक्रवार को स्टेशन के पेयजल बूथाें से स्वास्थ्य विभाग ने पानी का सेंपल लेकर जांच की। इसमें टीडीएस 226 आया। इतने टीडीएस वाले पानी को स्वच्छ जल माना जाता है और लोगों के लिए पीने याेग्य है। पीडीडीयू रेलवे स्टेशन पर रोजाना 25 हजार से अधिक यात्री आते हैं और ट्रेनाें पर सवार होते हैं। वहीं रोजाना यहां से 110 जोड़ी ट्रेेंने गुजरती है। इससे तीन लाख से अधिक यात्री गुजरते हैं। इनको पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आठ प्लेटफार्माें पर 325 पेयजल टोटियां लगी है। यही नहीं सात वाटर कूलर लगाए गए हैं।

वहीं 12 स्थानों पर वाटर वेडिंग मशीन लगाई है। बावजूद इसके यहां रोजाना 15 हजार से अधिक पानी की बोतले बिकती है। यात्री टोटियों के पानी को पीने योग्य नहीं मानते हैं। इसी वजह से 15 से बीस रुपये वाली एक लीटर की बोतल खरीद कर पानी पीते हैं। रेलवे की ओर से दो अक्तूबर से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत स्वच्छ नीर थीम पर रेलवे स्टेशन के वाटर बूथों, वाटर वेडिंग मशीन पर पहुंच कर पानी के सेंपल लेकर जांच की गई। प्लेटफार्म संख्या एक पर स्थित वाटर वेंडिंग मशीन और प्लेटफार्म संख्या दो पर स्थित गंगोत्री वाटर बूथ संख्यचा 48 से पानी के सेंपल लेकर जांच की गई। जिसमें 226 टीडीएस आया।

जांच करने वाले मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक अक्षय कुमार, राजेश कुमार, ज्योति प्रकाश और कार्यालय सहायक रंजीत कुमार की टीम ने बताया कि पानी की शुद्धता का स्तर टीडीएस (टोटल डिस्वोल्ड सोलिड्स) लेवल पर देखा जाता है। टीडीएस लेवल के हिसाब से पानी पीने योग्य ही या नहीं, यह तय होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार एक लीटर पानी में टीडीएस की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए। वहीं ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक एक लीटर पानी में टीडीएस 500 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। स्वास्थ्य निरीक्षकों की टीम ने यात्रियों से पीडीडीयू जक्शन पर लगे वाटर कूलर, वेंडिग मशीन और नलो से मिल रहे शुद्ध पानी पीने का आह्वान किया।